पंजाब के पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया
चंडीगढ़: सुप्रीम कोर्ट ने अकाली दल के वरिष्ठ नेता बिक्रम सिंह मजीठिया को ड्रग्स केस में पूछताछ के लिए 17 मार्च को सुबह 11 बजे पटियाला स्थित एसआईटी मुख्यालय में पेश होने का आदेश दिया है। पंजाब पुलिस ने हाईकोर्ट द्वारा दी गई उनकी जमानत को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें कहा गया था कि मजीठिया जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं।
पंजाब के एडवोकेट जनरल गुरमिंदर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि जब पहले मजीठिया से पूछताछ हुई थी, तब उन्होंने सवालों के जवाब देने से इनकार कर दिया। पुलिस का तर्क था कि जमानत मिलने का मतलब यह नहीं कि आरोपी जांच से बच सकता है। हालांकि, कोर्ट ने साफ किया कि किसी भी आरोपी को जबरदस्ती इस तरह से मजबूर नहीं किया जा सकता कि वह पुलिस के अनुसार ही जवाब दे। जस्टिस अरविंद कुमार ने कहा, “यह आवश्यक नहीं कि मजीठिया वही जवाब दें, जैसा पंजाब सरकार चाहती है।”
मजीठिया के वकील आर. बसंत ने दलील दी कि यह केस पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है और सरकार उन्हें बेवजह परेशान कर रही है। उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया कि पूछताछ के लिए स्पष्ट निर्देश दिए जाएं कि मजीठिया को कितने दिन पेश होना होगा। उन्होंने कहा, आप दो दिन का निर्देश दे सकते हैं। इसे पूरी तरह से पुलिस पर न छोड़ें, क्योंकि इसे राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस समय मजीठिया की जमानत रद्द करने से इनकार कर दिया, लेकिन उन्हें जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि जब भी जरूरत होगी, उन्हें पुलिस के सामने पेश होना होगा। अब इस मामले की अगली सुनवाई 24 मार्च को होगी। सभी की नजरें इस पर हैं कि क्या पंजाब पुलिस मजीठिया से ड्रग्स मामले से जुड़ी अहम जानकारी निकाल पाएगी या यह मामला फिर राजनीतिक बहस तक ही सीमित रहेगा।
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बता दें कि बिक्रम सिंह मजीठिया ने 2007 में पहली बार मजीठा निर्वाचन क्षेत्र से पंजाब विधानसभा चुनाव जीतकर अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी। इसके बाद 2012 और 2017 में भी उन्होंने इसी सीट से जीत दर्ज कर अपना दबदबा कायम रखा। उनकी लगातार जीत ने उन्हें पंजाब कैबिनेट में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया। अपने राजनीतिक करियर के दौरान, मजीठिया राजस्व, पुनर्वास और आपदा प्रबंधन, सूचना और जनसंपर्क, और गैर-पारंपरिक ऊर्जा मंत्री जैसे अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं।