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अंग्रेजों को फारसी सिखाने वाले सरदार अजीत सिंह कहानी, वो क्रांतिकारी जिनके किस्से सीमाएं पार कर गए

ब्रिटिश शासनकाल के दौरान किसानों के लिए आवाज उठाने वाले सरदार अजीत सिंह ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ किसान विरोधी आंदोलन आग जलाते हुए पगड़ी संभाल जट्टा मूवमेंट की शुरुआत की। आइये उनके बारे में।

  • By सौरभ शर्मा
Updated On: Aug 15, 2025 | 07:02 AM

सरदार अजीत सिंह (फोटो- सोशल मीडिया)

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Freedom Fighter Sardar Ajit Singh: भारत के हीरो पंजाब के सरदार अजीत सिंह का नाम सुनते ही देशभक्ति, साहस और किसानों के अधिकारों की लड़ाई की तस्वीरें आंखों के सामने प्रकट हो जाती है। 1881 में जालंधर के खटकड़ कलां गांव में जन्मे अजीत सिंह न केवल भगत सिंह के चाचा थे, बल्कि आजादी की मशाल जलाने वाले अग्रदूत भी रहे। इनके नेतृत्व में पगड़ी संभाल जट्टा आंदोलन फूटा, जिसने अंग्रेजी हुकूमत को हिलाकर रख दिया। आजादी की पहली लहर में अजीत सिंह का योगदान अतुलनीय है।

लोकमान्य तिलक और लाला लाजपत राय से प्रेरित होकर अजीत सिंह ने अपने भाइयों किशन सिंह और स्वर्ण सिंह के साथ ‘भारत माता सोसाइटी’ की स्थापना की। 1907 में अंग्रेजों द्वारा लाए गए किसान विरोधी तीन कानूनों के विरोध में अजीत सिंह ने पंजाब के किसानों को संगठित किया और पगड़ी संभाल जट्टा आंदोलन की नींव रखी। लायलपुर की ऐतिहासिक सभा में ‘पगड़ी संभाल जट्टा’ कविता ने इस आंदोलन को जन-जन तक पहुंचा दिया। वहीं सरदार अजीत सिंह ने ब्रिटिश अफसरों के राज जानने के लिए उन्हें कुछ वक्त उर्दू और फारसी भी पढ़ाई थी

विदेशों में संघर्ष से लेकर क्रांतिकारी सफर तक की दास्तां

विद्रोही विचारों के चलते अंग्रेज सरकार ने 1907 में अजीत सिंह को बर्मा की मांडले जेल में छह महीने के लिए नजरबंद कर दिया। रिहा होने के बाद वे विदेशों में जा बसे ईरान, तुर्की, पेरिस, जर्मनी, ब्राजील और अर्जेंटीना तक उनका संघर्ष चलता रहा। वे गदर पार्टी से जुड़े, विश्वभर के क्रांतिवीरों से मिले और चालीस भाषाओं के विद्वान भी बने। नेताजी सुभाष चंद्र बोस से इटली में मुलाकात कर आजाद हिंद लश्कर के गठन में भी योगदान दिया। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जर्मन जेल की कैद झेलनी पड़ी, जहां से पंडित नेहरू की पहल पर रिहा हुए। 1947 में, 38 वर्षों बाद, भारत लौटे और पंजौल-डलहौजी में आजादी की पहली सुबह ही ‘जय हिंद’ कहते हुए इस दुनिया को अलविदा कहा।

यह भी पढ़ें: 6 महीने का काम BJP ने 6 दिन में कैसे किया? कांग्रेस का आरोप- भाजपा को ECI से सीधी सप्लाई

अमर रहे अजीत सिंह की प्रेरणा

आज पगड़ी संभाल जट्टा आंदोलन से लेकर किसान आंदोलनों में भी अजीत सिंह की प्रेरणा जिंदा है। भगत सिंह, लाला लाजपत राय, लोकमान्य तिलक, नेताजी बोस, अर्जन सिंह, किशन सिंह, स्वर्ण सिंह, धनपत राय, सूफी अंबाप्रसाद, मुसोलिनी जैसे संगियों से उनकी मित्रता ने उन्हें हर मोड़ पर और मुखर बनाया। डलहौजी के पंजपूला में बना उनका स्मारक देशभक्ति का तीर्थ बन चुका है। उनकी जीवनगाथा बताती है कि एक शख्स का साहस कैसे पीढ़ियों को प्रबल बनाता है।

Ajit singh pagdi sambhal jatta punjab freedom movement history

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Published On: Aug 15, 2025 | 07:02 AM

Topics:  

  • Freedom Day
  • Indian History
  • Panjab

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