राज्यपाल आर एन रवि (सोर्स- सोशल मीडिया)
चेन्नई: तमिलनाडु में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। यही वजह है कि यहां हर एक हरकत पर सियासी बवाल छिड़ता हुआ दिखाई देता है। अब सूबे के राज्यपाल आरएन रवि ने इंजीनियरिंग कॉलेज में छात्रों से जय श्री राम का नारा लगाने कहा। जिसे लेकर सत्ताधारी डीएमके उनके पर हमलावर हो गई है। इस पर विवाद और गहराने के आसार हैं।
कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल रवि ने कम्ब रामायण के रचयिता महान तमिल कवि कम्बर को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि इस दिन, आइए हम श्री राम के एक महान भक्त को श्रद्धांजलि दें। मैं कहूंगा और आप कहेंगे- जय श्री राम। इस दौरान छात्र भी उनके पीछे-पीछे नारे लगाते नजर आए। यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और बहस का विषय बन गया है।
इस बयान के बाद राज्य की सत्ताधारी पार्टी डीएमके ने राज्यपाल पर जमकर निशाना साधा। पार्टी प्रवक्ता धरणीधरन ने कहा कि राज्यपाल संविधान के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का बार-बार उल्लंघन कर रहे हैं। वह आरएसएस के प्रवक्ता की तरह व्यवहार कर रहे हैं। उन्हें अब तक इस्तीफा दे देना चाहिए था।
Shameless R.N. Ravi violates the law once again!
Now forcing students to chant “Jai Shri Ram”?Absolutely unacceptable!
Stop saffronizing education too!
Governor is not above the Constitution!#RNRavi #TamilNadu #JSR #SecularIndia #SaveEducation #StopSaffronisation⚠️📢✋📚 pic.twitter.com/81jRDorLnG
— We Dravidians (@WeDravidians) April 12, 2025
उन्होंने आगे कहा, “हमने देखा है कि राज्यपाल किस तरह संघीय ढांचे का उल्लंघन करते हैं और अब सुप्रीम कोर्ट ने भी उन्हें उनकी सीमाएँ बता दी हैं। यह उनका निजी धार्मिक प्रचार है, जो राज्यपाल के संवैधानिक पद के बिल्कुल विपरीत है।”
कांग्रेस विधायक असन मौलाना ने भी राज्यपाल की आलोचना करते हुए कहा कि वह धार्मिक नेता की तरह व्यवहार कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “राज्यपाल जैसे उच्च पद पर बैठे व्यक्ति से यह अपेक्षित नहीं है। भारत विविधताओं से भरा देश है – यहाँ कई धर्म, भाषाएँ और समुदाय हैं। किसी एक धर्म को बढ़ावा देना संविधान के विरुद्ध है।” उन्होंने कहा, “छात्रों से बार-बार धार्मिक नारे लगवाना असमानता और धार्मिक भेदभाव को जन्म देता है। राज्यपाल अब भाजपा और आरएसएस के प्रचारक बन गए हैं।”
विवादों में रहे हैं राज्यपाल रवि यह पहली बार नहीं है कि राज्यपाल आरएन रवि किसी विवाद में घिरे हों। इससे पहले भी वह कई बार राज्य सरकार और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से टकराव में आ चुके हैं। राज्यपाल द्वारा विधानसभा से पारित विधेयकों को मंजूरी देने में देरी करना और कभी-कभी उन्हें बिना कारण लंबित रखना चर्चा का विषय रहा है।
देश और दुनिया की सभी बड़ी ख़बरों को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भी राज्यपाल रवि की भूमिका पर कड़ी टिप्पणी की थी। कोर्ट ने कहा था कि राज्यपाल किसी भी विधेयक को अनिश्चित काल तक रोक कर नहीं रख सकते। कोर्ट ने उनके इस फैसले को “असंवैधानिक” और “अवैध” करार दिया था। राज्यपाल रवि के बयान और व्यवहार पर इस तरह की आलोचना से राज्य और केंद्र के बीच संबंधों में तनाव और बढ़ने की आशंका है।