शिमला के एसपी संजीव गांधी (फोटो- सोशल मीडिया)
शिमला: हिमाचल प्रदेश पुलिस विभाग में इन दिनों जबरदस्त टकराव सामने आया है। शिमला के एसपी संजीव गांधी ने डीजीपी कार्यालय के निजी स्टाफ पर गंभीर आरोप लगाते हुए जांच में हस्तक्षेप और पद के दुरुपयोग का आरोप लगाया है। इस बयान के बाद विवाद और गहरा गया, जब एसपी ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रदेश के मुख्य सचिव और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड से जुड़े मामलों को लेकर भी तीखी टिप्पणियां कीं। मामले ने तूल पकड़ा और डीजीपी ने एसपी को निलंबित करने की सिफारिश कर दी। यह पूरा विवाद अब सरकार और प्रशासन के बीच बड़ी हलचल का कारण बन गया है।
इस पूरे विवाद की जड़ एक पुराने केस की जांच से जुड़ी है, जिसमें डीजीपी के स्टाफ का नाम सामने आया था। एसपी का दावा है कि जब उन्होंने मामले में पूछताछ करनी चाही, तो जांच में बाधा डाली गई और इसे सीआईडी को सौंप दिया गया। इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जांच किसी खास अधिकारी से करवाने का दबाव था। वहीं, एक अन्य शिकायत में भी वरिष्ठ अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं, जिसे सरकार और महाधिवक्ता कार्यालय के समक्ष रखा गया है। एसपी का कहना है कि वह दिवंगत विमल नेगी को न्याय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
Himachal Pradesh DGP writes to the Additional Chief Secretary (Home), Himachal Pradesh government, recommending the suspension of SP Shimla on the grounds of gross misconduct, insubordination and dereliction of duty.
“During the press conference held by SP Shimla on 24.05.2025,… https://t.co/1zUVhVQKsJ
— ANI (@ANI) May 25, 2025
जांच पर आरोप, विवाद का केंद्र
एसपी संजीव गांधी ने सार्वजनिक रूप से कहा कि एक महत्वपूर्ण जांच में डीजीपी के निजी सहायक ने न केवल हस्तक्षेप किया, बल्कि पद का दुरुपयोग करते हुए जांच को सीआईडी को सौंप दिया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जांच किसी खास अधिकारी से करवाई जा रही है।
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प्रेस कॉन्फ्रेंस से बवाल, डीजीपी की सिफारिश
24 मई को हुई प्रेस वार्ता में एसपी ने न केवल मुख्य सचिव, बल्कि एक संवैधानिक प्राधिकरण और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड से जुड़े मामलों पर भी आपत्तिजनक बयान दे दिए। इसके बाद डीजीपी ने उन्हें निलंबित करने की सिफारिश की, जिससे यह मामला और संवेदनशील हो गया।