आर्टिफिशियल हार्ट (फोटोे सोर्स -सोशल मीडिया)
कैनबरा: ऑस्ट्रेलिया में एक शख्स ने मेडिकल इतिहास रच दिया जब उसने बिना असली दिल के 100 दिन तक जीवन जिया। इस अनोखी उपलब्धि ने चिकित्सा जगत में हलचल मचा दी है। 40 वर्षीय यह मरीज नवंबर 2024 में सिडनी के सेंट विंसेंट अस्पताल में भर्ती हुआ था, जहां डॉक्टरों ने उसे बायवाकॉर नामक कृत्रिम दिल लगाया। यह पूरी तरह से टाइटेनियम से बना एक खास कृत्रिम हृदय है जो पूरी तरह मशीन पर आधारित है। फरवरी में इस मरीज को अस्पताल से छुट्टी मिल गई और वह इस तकनीक के साथ घर जाने वाला दुनिया का पहला इंसान बन गया। यह उपलब्धि उन लाखों मरीजों के लिए उम्मीद की किरण बन गई है जो हार्ट ट्रांसप्लांट का इंतजार करते-करते मौत के करीब पहुंच जाते हैं।
यह कृत्रिम हृदय पारंपरिक हार्ट पंप से बिल्कुल अलग है। आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले कृत्रिम दिलों में कई जटिल हिस्से होते हैं जो समय के साथ घिस जाते हैं, लेकिन बायवाकॉर द्वारा विकसित इस कृत्रिम दिल में केवल एक ही मूविंग पार्ट है। यह टाइटेनियम से बना एक रोटर है जो शक्तिशाली मैग्नेट्स की मदद से हवा में तैरता रहता है। यह किसी पंखे की तरह घूमता है और रक्त को शरीर और फेफड़ों तक पहुंचाता है। इस तकनीक की खासियत यह है कि इसमें वाल्व या अन्य जटिल हिस्से नहीं होते, जिससे यह ज्यादा टिकाऊ और प्रभावी बन जाता है। हालांकि, यह अभी भी परीक्षण के दौर में है और बड़े स्तर पर इसका इस्तेमाल नहीं हो रहा है, लेकिन इसका अब तक का प्रदर्शन बेहद उत्साहजनक रहा है।
कृत्रिम दिल की इस सफलता ने डॉक्टरों और वैज्ञानिकों के बीच एक नई बहस छेड़ दी है। इस परियोजना के पीछे ऑस्ट्रेलियाई जैव इंजीनियर डॉ डेनियल टिम्स का दिमाग था, जिन्होंने अपने पिता की हार्ट अटैक से मौत के बाद इस तकनीक पर काम करना शुरू किया था। उन्होंने इसे चिकित्सा जगत के लिए एक बड़ी सफलता बताया और कहा कि यह उन मरीजों के लिए एक वरदान बन सकता है जो सही समय पर हार्ट डोनर नहीं ढूंढ पाते। कार्डियोलॉजिस्ट प्रोफेसर क्रिस हेवर्ड ने इस खोज को गेम-चेंजर करार दिया और अनुमान लगाया कि आने वाले दशक में यह तकनीक एक आम समाधान बन सकती है, खासकर उन मरीजों के लिए जो हार्ट ट्रांसप्लांट का इंतजार नहीं कर सकते।
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भले ही कृत्रिम दिल एक बड़ी खोज हो, लेकिन दिल को स्वस्थ रखना ही सबसे बेहतर उपाय है। दिल की बीमारियां आज दुनिया में मौत का सबसे बड़ा कारण बन चुकी हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, हर साल 1.79 करोड़ लोग हृदय रोगों की वजह से जान गंवाते हैं। हार्ट फेल्योर तब होता है जब दिल शरीर में पर्याप्त खून नहीं पंप कर पाता। इसके लक्षणों में सांस लेने में दिक्कत, थकान, पैरों में सूजन, अनियमित दिल की धड़कन और छाती में दर्द शामिल हो सकते हैं। यह आमतौर पर हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, मोटापे और खराब जीवनशैली के कारण होता है। डॉक्टरों के मुताबिक, सिगरेट और शराब से दूरी, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और मानसिक तनाव से बचाव जैसे उपाय अपनाकर दिल को स्वस्थ रखा जा सकता है।
अगर बायवाकॉर का यह कृत्रिम दिल भविष्य में और बेहतर परिणाम देता है, तो यह न केवल हार्ट ट्रांसप्लांट की जरूरत को कम करेगा, बल्कि दिल की बीमारियों से जूझ रहे लाखों लोगों के लिए नई जिंदगी का विकल्प बन सकता है।