पोस्ट पोलियो सिंड्रोम (सौ.सोशल मीडिया)
Post Polio Syndrome: देशभर में कई बड़ी बीमारियां फैली है जिसका खतरा हर समय मंडराता जा रहा है। आज 24 अक्टूबर को पोलियो के बढ़ते मामलों के मद्देनजर दुनियाभर में विश्व पोलियो दिवस मनाया जा रहा है। इस बीमारी का खतरा सबसे ज्यादा बच्चों को होता हैं इसके लिए स्वास्थ्य विभाग पोलियो का अभियान चलाकर दवाई पिलाती है। पोलियो की बीमारी अगर सही भी हो जाती है तो पोस्ट पोलियो सिंड्रोम का खतरा बढ़ता हैं इसके के कारण होते है और इलाज कैसे संभंव है चलिए जानते हैं इसके बारे में।
यहां पर पोस्ट पोलियो सिंड्रोम की स्थिति की बात की जाए तो, इसमें यह समस्या उन लोगों को प्रभावित करती है जो पोलियो की समस्या से पहले ही ग्रसित रह चुके है। इस पोस्ट पोलियों की स्थिति में बीमारी सही होने के कुछ सालों बाद भी मरीजों में कमजोरी, थकान और मांसपेशियों से संबंधित अन्य समस्याएं हो सकती हैं। इस स्थिति को ही पोस्ट पोलियो सिंड्रोम कहा जाता है। यह स्थिति तंत्रिका तंत्र से जुड़े तनाव के कारण हो सकती है। अगर समय पर इलाज नहीं मिल पाता है तो स्थिति खतरनाक हो जाती है।
यहां पर बात करें तो, इस पोस्ट पोलियो सिंड्रोम बीमारी के लक्षण मरीज में देखने के लिए मिलते हैं जो इस प्रकार है…
सांस लेने में कठिनाई
नींद से जुड़ी समस्याएं
सहनशक्ति में कमी
ठंड के प्रति सहनशीलता कम होना
खाना निगलने में दिक्कत
मांसपेशियों में कमजोरी
थकान
मांसपेशियों में दर्द और जकड़न
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यहां पर पोस्ट पोलियो सिंड्रोम की बात की जाए तो इसका कारण बढ़ने का क्या है इसकी जानकारी भलें ही नहीं मिल पाई है लेकिन कहते है पोलियो संक्रमण के कारण तंत्रिका कोशिकाओं के क्षतिग्रस्त होने का खतरा सताता है इसकी वजह से मोटर न्यूरॉन्स प्रभावित होते हैं। इसकी वजह से पोस्ट-पोलियो सिंड्रोम का खतरा रहता है। पोलियो वायरस से प्रभावित न्यूरॉन्स मांसपेशियों को संकेत भेजने का काम करते हैं। इस बीमारी से निजात पाने के लिए आपको इलाज की जानकारी देते चलें तो कोई पुख्ता इलाज इसका नहीं मिल पाया है लेकिन मरीज को इस समस्या में डाइट और लाइफस्टाइल का ध्यान रखना चाहिए। इसके लिए इस पोस्ट पोलियो सिंड्रोम की समस्या में फिजियोथेरेपी और एक्सरसाइज भी करवाई जाती है। इससे प्रभावित लोगों के मांसपेशियों में बहुत ज्यादा दर्द होता है। इसके लिए दवाईयों के साथ ही हॉट थेरेपी का उपयोग किया जाता है।