(सौजन्य सोशल मीडिया)
राजकोट : हैजा के दो मामले सामने आने के बाद गुरूवार को गुजरात के राजकोट के कुछ इलाकों को हैजा प्रभावित घोषित किया गया है। शुरुआती जांच से पता चला है कि बीमारी बाहर से लाए गए दूषित पानी के कारण यहां फैली। हैजा विब्रियो कोलेरा नामक जीवाणु से होने वाले सक्रमण के कारण फैलता है।
विब्रियो कोलेरा जीवाणु दूषित भोजन और पानी के सेवन से फैलता है। हैजा से गंभीर दस्त की समस्या होती है और अगर वक्त पर इलाज न किया जाए तो यह डिहाईड्रेशन का कारण बन सकता है जो रोगी के लिये घातक साबित हो सकता है।
इस बारे में एक अधिकारी ने गुरूवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी प्रभाव जोशी ने पांच जुलाई को महामारी अधिनियम के तहत दो किलोमीटर के दायरे में आने वाले एक क्षेत्र को हैजा प्रभावित घोषित करने संबंधी अधिसूचना जारी की थी। अधिकारी ने बताया कि, ‘‘यह दो महीने तक लागू रहेगी। इन इलाकों में लोहानगर, रेलवे क्रॉसिंग और गोंडल रोड शामिल हैं। लोहानगर में हैजा के दो मामले पाए गए हैं।”
अधिकारी ने बताया कि अधिसूचना के तहत बर्फ से बने खाद्य पदार्थों पर चार सितंबर तक प्रतिबंध लगा दिया गया है। इलाके में हैजा के मामले सामने आने को लेकर राजकोट नगर निगम के स्वास्थ्य चिकित्सा अधिकारी जयेश वकानी ने बताया कि प्रारंभिक जांच से पता चला है कि बीमारी संभवत: बाहर से लाए गए दूषित पानी के कारण शुरू हुई है। जानकारी के लिये बता दें कि अधिकारी जयेश वकानी को जिलाधिकारी द्वारा हैजा नियंत्रण अधिकारी नियुक्त किया गया है।
हैजा के मामलों के लेकर उन्होंने बताया कि लोहानगर में रहने वाले कुछ लोग मछली बेचने का काम करते हैं। वे बाहरी इलाकों से मछलियां लाते हैं और उन्हें अपने घर में एक छोटे से पानी के गड्ढे में रखकर कुछ दिनों बाद बेच देते हैं। अधिकारी जयेश वकानी ने बताया कि सम्भवत: उसी पानी के दूषित होने के कारण हैजा के दो मामले सामने आए होंगे। नियम के अनुसार, अगर किसी क्षेत्र में एक भी मामला सामने आता है तो उसे हैजा प्रभावित घोषित कर दिया जाता है।
हैजा नियंत्रण अधिकारी ने बताया कि फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है और सर्वेक्षण करने एवं संदिग्ध मामलों का पता लगाने के लिए 25 टीम तैनात की गई हैं। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों के 1,500 निवासियों पर नजर रखी जा रही है और पानी एवं भोजन की नियमित जांच की जा रही है। हैजा नियंत्रण अधिकारी वकानी ने कहा, ‘‘हमने कलोल के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों को भी अधिसूचना के माध्यम से सूचित किया है कि वे मरीजों पर नजदीक से नजर रखें। अगर उन्हें कोई संदिग्ध मामला मिलता है तो अधिकारियों को सूचित करें।
(एजेंसी इनपुट के साथ)