गैर-बासमती सफेद चावल (सौजन्य : सोशल मीडिया)
जोहानिसबर्ग : बीते दिनों भारत सरकार ने गैर-बासमती सफ़ेद चावल के एक्सपोर्ट पर लगने वाले बैन को हटाने का फैसला लिया है। सरकार के इस फैसले से कई देशों में खुशी की लहर दौड़ उठी है। इसी कड़ी में दक्षिण अफ्रीका के इंपोर्टर्स ने चावल के एक्सपोर्ट पर लगने वाले बैन में ढील देने के भारत के फैसले का जोरों से स्वागत किया है। आपको बता दें कि देश की सरकार ने 490 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम मूल्य तय किया है और इसके एक्सपोर्ट पर लगने वाली शुल्क में छूट दी है।
लोकल सप्लाई को बढ़ावा देने के लिए 20 जुलाई, 2023 से गैर-बासमती सफ़ेद चावल के एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया गया था। दक्षिण अफ्रीका में भारतीय उत्पादों के सबसे बड़े इंपोर्ट्स में से एक, देव इंटरनेशनल के प्रणव ठक्कर ने कहा, “यह हमारे जैसे सभी इंपोर्टर्स के लिए अच्छी खबर है, क्योंकि दक्षिण अफ्रीका हर साल लगभग एक करोड़ टन चावल को इंपोर्ट करता है। थाईलैंड और वियतनाम से दक्षिण अफ्रीका में चावल के इंपोर्ट की हिस्सेदारी 70 प्रतिशत है। इसके बाद तीसरे स्थान पर भारत दक्षिण अफ्रीका को चावल का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर है।”
उन्होंने कहा, “इससे भारत के एक्सपोर्ट में बढ़त होगी और दक्षिणी अफ्रीकी देशों की डिमांड और आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकेगा। जैसे ही यह खबर आई, हमने पहले ही अपने ऑर्डर दे दिया है और फिलहाल कंटेनर रास्ते में हैं।”
ठक्कर ने कहा कि छोटे दाने वाले चावल और सफेद चावल के एक्सपोर्ट पर बैन हटने से ग्लोबल मार्केट पर असर पड़ा है और कीमतों में गिरावट शुरू हो गई है। उन्होंने कहा, “यह भारत में अक्टूबर/नवंबर से धान (चावल) की नई फसल की कटाई के साथ मेल खाता है।”
ये भी पढ़ें :- अमेरिका के बाद अब यूरोप में हो रही है अमूल की एंट्री, मैनेजिंग डायरेक्टर ने दिया बयान
दक्षिण अफ्रीकी कृषि व्यवसाय चैंबर के मुख्य अर्थशास्त्री वांडिले सिहलोबो ने भी इसी बात को दोहराया है। उन्होंने कहा, “ग्लोबल लेवल पर चावल की कीमतों में हाल के सप्ताहों में उल्लेखनीय गिरावट आई है, क्योंकि वैश्विक स्तर पर पर्याप्त सप्लाई की उम्मीद है।”
उन्होंने कहा, “भारत ने गैर-बासमती सफ़ेद और टूटे चावल पर बैन लगा दिया था। भारत द्वारा ग्लोबल मार्केट में सालाना इंपोर्ट किए जाने वाले 2.2 करोड़ टन चावल में इस कैटेगरी का हिस्सा आम तौर पर 45 प्रतिशत होता है।” बैन की आधिकारिक घोषणा के बाद के महीनों में, संभावित सप्लाई की कमी के बारे में व्यापक चिंताओं के कारण ग्लोबली चावल की कीमतों में उछाल आया।
(एजेंसी इनपुट के साथ)