रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ( सौजन्य : सोशल मीडिया )
मुंबई : केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी आरबीआई ने देश के कुछ प्रमुख बैंकों को लेकर बुधवार को एक प्रमुख फैसला लिया है। आरबीआई ने भारतीय स्टेट बैंक, एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक को फिर से डोमेस्टिक सिस्टमैटिक फॉर्म से महत्वपूर्ण बैंकों यानी डी- एसआईबी की लिस्ट में शामिल करने का निर्णय लिया है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बुधवार को डी-एसआईबी से जुड़ी लिस्ट जारी की है।
इस सूची में शामिल होने के लिए लेंडर्स को उस ‘बकेट’ के अनुसार कैपिटल संरक्षण रिजर्व के अतिरिक्त हाई ‘कॉमन इक्विटी टियर 1′ यानी सीईटी 1 बनाए रखना आवश्यक है, जिसके अंतर्गत इसे क्लासिफाइड किया गया है। सूची के अनुसार, भारतीय स्टेट बैंक यानी एसबीआई अब भी ‘बकेट 4′ में बना हुआ है, जिसके लिए देश के सबसे बड़े लेंडर्स को 0.80 प्रतिशत का एक्स्ट्रा सीईटी 1 रखना होगा।
प्राइवेट सेक्टर के सबसे बड़े लेंडर्स एचडीएफसी बैंक को ‘बकेट 2′ में रखा गया है, जिसके तहत उसे 0.40 प्रतिशत अधिक सीईटी 1 बनाए रखना होगा। केंद्रीय बैंक यानी आरबीआई ने कहा है कि, एसबीआई तथा एचडीएफसी बैंक के लिए हाई डी-एसआईबी सरचार्ज एक अप्रैल 2025 से लागू होगा। इसलिए 31 मार्च 2025 तक एसबीआई और एचडीएफसी बैंक पर लागू डी-एसआईबी अधिभार क्रमशः 0.60 प्रतिशत और 0.20 प्रतिशत होगा।
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आईसीआईसीआई बैंक को ‘बकेट 1′ में क्लासिफाई किया गया है, जिसमें प्राइवेट सेक्टर के दूसरे सबसे बड़े लेंडर को सीईटी 1 भंडार में अतिरिक्त 0.20 प्रतिशत बनाए रखना होगा। आरबीआई ने कहा कि यह क्लासिफिकेशन 31 मार्च 2024 तक बैंकों से जमा किए गए आंकड़ों पर आधारित है।
केंद्रीय बैंक यानी आरबीआई ने पहली बार 2014 में डी-एसआईबी से निपटने के लिए रूपरेखा की घोषणा की थी। 2015 और 2016 में एसबीआई और आईसीआईसीआई बैंक को इस सूची में शामिल किया था। 2017 में अन्य दो बैंकों के साथ एचडीएफसी बैंक को भी सूची में शामिल किया गया था।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया देश का केंद्रीय बैंक है, जिसका काम बाकी सभी बैंकों की ओर ध्यान देने का भी है। रिज़र्व बैंक का कामकाज केन्द्रीय निदेशक बोर्ड द्वारा शासित होता है। भारतीय रिज़र्व अधिनियम के अनुसार इस बोर्ड की नियुक्ति भारत सरकार द्वारा की जाती है। यह नियुक्ति चार वर्षों के लिये होती है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)