रिलायंस कैपिटल ( सौजन्य : सोशल मीडिया )
नई दिल्ली : अनिल अंबानी की कर्ज में डूबी कंपनी रिलायंस कैपिटल लिमिटेड यानी आरसीएपी के कर्जदाताओं ने आईआईएचएल पर निशाना साधा है। हिंदुजा ग्रुप की कंपनी आईआईएचएल पर आरसीएपी ने समाधान योजना में देरी की रणनीति आजमाने का आरोप लगाया है। वहीं दूसरी ओर आईआईएचएल ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि उनकी कंपनी उचित प्रक्रिया का पालन कर रही है।
मॉरीशस स्थित इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स लिमिटेड यानी आईआईएचएल रिलायंस कैपिटल के अधिग्रहण के लिए सफल बोलीदाता के रूप में उभरी थी। एनसीएलटी की मुंबई पीठ ने 27 फरवरी, 2024 को कर्ज में डूबी वित्तीय कंपनी के लिए आईआईएचएल की 9,861 करोड़ रुपये की समाधान योजना को मंजूरी दे दी थी।
सूत्रों के अनुसार ऋणदाताओं ने दावा किया कि आईआईएचएल ने औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग यानी डीआईपीपी से मंजूरी लेने का कदम बाद में उठाया है। उन्होंने कहा कि यह 27 फरवरी, 2024 को समाधान योजना को मंजूरी देते समय एनसीएलटी की तय शर्तों का हिस्सा भी नहीं था।
सूत्रों के अनुसार आईआईएचएल के डीआईपीपी के पास आवेदन जमा करे हुए 90 दिन बीत चुके हैं, लेकिन मंजूरी अभी भी लंबित है। आईआईएचएल के सूत्रों ने कहा, ”सभी आरोप पूरी तरह से झूठे, निराधार हैं और ये समाधान प्रक्रिया को बदनाम और बाधित करने की कोशिश है।”
कंपनी के सूत्रों ने कहा, ”सभी आरोप गलत और झूठे हैं। आईआईएचएल के लिए योजना के कार्यान्वयन में देरी करने का कोई कारण नहीं है, खासकर तब, जबकि आईआईएचएल ने पहले ही सीओसी के पास 2,750 करोड़ रुपये जमा कर दिए हैं।”
उन्होंने कहा कि आरोपों के विपरीत, यह आईआईएचएल के हित में है कि वह जल्द से जल्द समाधान योजना को पूरा कर कंपनी को अपने कब्जे में ले, ताकि दैनिक आधार पर मूल्य में हो रही कमी को रोका जा सके।
डीआईपीपी की मंजूरी इसलिए जरूरी है, क्योंकि आईआईएचएल के कुछ शेयरधारक हांगकांग के निवासी हैं, जो चीन नियंत्रित एक विशेष प्रशासनिक क्षेत्र है। प्रेस नोट तीन के अनुसार यदि भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले किसी देश (चीन, बांग्लादेश, पाकिस्तान, भूटान, नेपाल, म्यांमार और अफगानिस्तान) की कोई इकाई, नागरिक या स्थायी निवासी भारत में निवेश करता है, तो उसे सरकार से इसके लिए मंजूरी लेनी होगी।
( एजेंसी इनपुट के साथ )