यूपीआई (सौजन्य : सोशल मीडिया )
नई दिल्ली : क्वालिफाइड शेयर ब्रोकरों के लिए शेयर बाजार में एक बड़ा बदलाव किया गया है। 1 फरवरी से निवेशकों को शेयर खरीदने बेचने के लिए यूपीआई यानी यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस पर आधारित ‘ब्लॉक’ सुविधा के उपयोग की परमिशन देनी होगी या फिर निवेशक एक बिजनेस अकाउंट में 3 सुविधाओं की पेशकश कर सकते हैं। बताया जा रहा है कि इस कदम से इंवेस्टर्स की स्थिति और भी मजबूत और सशक्त हो सकती है।
पात्र शेयर ब्रोकर यानी क्यूएसबी को कारोबार के मौजूदा तरीके के अलावा, इन दो ऑप्शन्स में से एक की पेशकश करनी होगी। एक बिजनेस अकाउंट में तीन सुविधाओं के तहत सेविंग अकाउंट, डीमैट अकाउंट और बिजनेस अकाउंट को जोड़ा जाता है। इस मामले में, ग्राहकों के बैंक खाते में उनकी धनराशि होगी और बाकी बची हुई राशि पर ब्याज मिलेगा।
एनटीटी डेटा पेमेंट सर्विसेज इंडिया के मुख्य वित्त अधिकारी राहुल जैन ने कहा, ‘‘ऐसे समय में जब यूपीआई पेमेंट में महत्वपूर्ण बढ़त देखी जा रही है, यह पहल मजबूत सुरक्षा के साथ बेहतर ट्रांसपरेंसी, इंटरेस्ट इनकम और पेमेंट में सुगमता के साथ निवेशकों को सशक्त और लाभान्वित करेगी।”
उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त, इस कदम से फंड मैनेजमेंट में सुधार होगा और निवेशकों के लिए सुविधा बढ़ेगी। इससे उन्हें कारोबार के लिए कोष को खाते में ‘ब्लॉक’ कर भुगतान की अनुमति देने की सुविधा मिलेगी जो उनकी राशि को दुरुपयोग से बचाएगा। सेबी के निदेशक मंडल ने सोमवार को इस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। इसके तहत पात्र शेयर ब्रोकरों को अगले साल एक फरवरी से या तो अपने ग्राहकों को सेकेंडरी मार्केट यानी कैश सेगमेंट में यूपीआई आधारित ‘ब्लॉक’ व्यवस्था के उपयोग की अनुमति देनी होगी या फिर वे एक बिजनेस अकाउंट में तीन सुविधाओं की पेशकश करेंगे। यूपीआई आधारित ब्लॉक व्यवस्था एसबीए यानी एप्लीकेशन सर्पोटेड बाई ब्लॉक्ड एमाउंस् जैसी होगी।
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यूपीआई ब्लॉक व्यवस्था में, कारोबारियों को ब्रोकर को पहले से पैसा देने की जरूरत नहीं होगी। वे अपने बैंक खातों में ब्लॉक्ड फंड के आधार पर सेकेंडरी मार्केट में कारोबार कर सकते हैं। पात्र शेयर ब्रोकर के ग्राहकों के पास विकल्प होगा कि वे या तो कारोबारी सदस्यों को फंड अंतरित कर कारोबार की मौजूदा सुविधा को जारी रखें या नई सुविधा का ऑप्शन चुनें।
कारोबारी सदस्यों को आकार और परिचालन के पैमाने के आधार पर पात्र शेयर ब्रोकर के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। मार्केट रेग्यूलेटर सेबी ने जनवरी, 2019 से आईपीओ जैसे पब्लिक इश्यू के लिए मध्यस्थों के माध्यम से जमा किये जाने वाले रिटेल इंवेस्टर्स के आवेदनों को लेकर पेमेंट व्यवस्था के रूप में धन को खाते में ही ब्लॉक करने की सुविधा शुरू की थी। इसके तहत आरबीआई द्वारा अप्रूव्ड यूपीआई का उपयोग शुरू किया था।
शेयरों की खरीद-बिक्री के लिए ‘ब्लॉक’ व्यवस्था के माध्यम से प्रायोगिक तौर पर यानी बीटा संस्करण एक जनवरी, 2024 को व्यक्तियों और हिंदू अविभाजित परिवार यानी एचयूएफ के लिए शुरू किया गया था और इसे केवल कैश सेगमेंट पर लागू किया गया था। वर्तमान में, यह सुविधा निवेशकों के लिए ऑप्शनल है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)