UPSC परीक्षा को लेकर Infosys के को फाउंडर ने पीएम मोदी को दी कौन सी सलाह, जानें विस्तार से
इन्फोसिस के को फाउंडर एन आर नारायणमूर्ति ने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने हमारी इकोनॉमी को रफ्तार देने के मामले में अब तक शानदार काम किया है। संभवत: वह अब इस बात पर गौर कर सकते हैं कि सरकार में क्या हमें एडमिनिस्टेटर के बजाय ज्यादा मैनेजमेंट की जरूरत है।
मुंबई : इन्फोसिस के को फाउंडर एन आर नारायणमूर्ति ने गुरूवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए एक विशेष संदेश दिया है। उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिविल सर्विस के लिए सिस्टम में बदलाव करने की बात कही है। नारायणमूर्ति ने कहा है कि इस सर्विस के लिए केवल यूपीएससी परीक्षा पर निर्भर नहीं रहना चाहिए बल्कि इसके लिए मैनेजमेंट स्कूल के छात्रों को भी सिविल सर्विस ऑफिसर के रूप में चुनने पर विचार किया जाना चाहिए। इन्फोसिस के को फाउंडर एन आर नारायणमूर्ति ने सीएनबीसी टीवी18 के एक कार्यक्रम में कहा है कि ये एडमिनिस्ट्रैटिव मेंटेलिटी से मैनेजमेंट ओरिएंटेड बदलाव भी हो सकेंगें।
मूर्ति ने कहा कि मैनेजमेंट का रुख दूरदर्शिता, उच्च आकांक्षा, असंभव को हासिल करना, कॉस्ट कंट्रोल, लोगों का भरोसा बढ़ाना और चीजों को तेजी से पूरा करना है, जबकि एडमिनिस्ट्रैटिव मेंटेलिटी यथास्थिति पर जोर देता है। उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने हमारी इकोनॉमी को रफ्तार देने के मामले में अब तक शानदार काम किया है। संभवत: वह अब इस बात पर गौर कर सकते हैं कि सरकार में क्या हमें एडमिनिस्टेटर के बजाय अधिक मैनेजमेंट की जरूरत है।
मैनेजमेंट स्कूलों का उपयोग
मूर्ति ने कहा कि सरकार को भारतीय प्रशासनिक सेवा यानी आईएएस टैलेंट के लिए मौजूदा सिस्टम के बजाय मैनेजमेंट स्कूलों का उपयोग करने की आवश्यकता है। मौजूदा सिस्टम में उम्मीदवार संघ लोक सेवा आयोग यानी यूपीएससी द्वारा आयोजित अत्यधिक कॉम्पीटिटीव एग्जाम में शामिल होकर 3 या 4 विषयों की परीक्षा देते हैं। एक बार जब कैंडिडेट का सिलेक्शन हो जाता है, तो उसे ट्रेनिंग के लिए मसूरी में स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी ले जाया जाएगा। वहां उसे विशेष क्षेत्र एग्रीकल्चर, डिफेंस या मैन्यूफैक्चरिंग में ट्रेन किया जाएगा। यह सामान्य प्रशासक बनाने की मौजूदा व्यवस्था से अलग होगा।
मूर्ति ने कहा कि सफल उम्मीदवार ट्रेनिंग खत्म होने के बाद विषय के विशेषज्ञ बन जाएंगे और 30-40 साल तक अपने संबंधित क्षेत्र में देश की सेवा करेंगे। उन्होंने कहा कि मौजूदा प्रशासनिक रुख 1858 से जुड़ा है। इसमें बदलाव लाने की जरूरत है। इन्फोसिस के सह-संस्थापक ने लोगों की मानसिकता को बदलने की अपील करते हुए कहा है कि मुझे उम्मीद है कि भारत एक ऐसा राष्ट्र बनेगा जो सिर्फ एडमिनिस्ट्रैशन ओरिएंटेड होने के बजाय मैनेजमेंट ओरिएंटेड होगा।
अक्षमता को कम करने की जरूरत
मूर्ति ने प्राइवेट सेक्टर में सेवारत बुद्धिजीवियों को कैबिनेट मंत्री के स्तर के बराबर समितियों के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त करने और मंत्री और ब्यूरोक्रैट्स के हर बड़े फैसले को मंजूरी देने का भी सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि किसी भी देश में सरकारी दखल को कम करने, कार्रवाई में सुस्ती और अक्षमता को कम करने की आवश्यकता है।
70 घंटे काम करने वाले बयान पर कायम
हफ्ते में 70 घंटे काम करने पर उनकी विवादास्पद टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर मूर्ति ने कहा कि वह अपनी टिप्पणी पर कायम हैं। उन्होंने कहा कि मोदी भी सप्ताह में 100 घंटे काम करते हैं। मूर्ति ने कहा कि जब 1986 में इन्फोसिस में कामकाजी हफ्ते में 5 दिन किया गया, तो उन्हें निराशा हुई। लेकिन वह स्वयं हफ्ते के साढ़े 6 दिन 14 घंटे काम करते थे। उन्होंने 2014 में कंपनी में कार्यकारी पद छोड़ दिया था।
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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