भारतीय कंपनियां (सौजन्य : सोशल मीडिया)
नई दिल्ली : सितंबर महीने की तिमाही के आंकड़े सामने आने के बाद ये बात साफ हो गई है कि इस समय भारत की बड़ी कंपनियां काफी बेहतर परिस्थिति में है। हालांकि इन तिमाही रिजल्ट के अनुसार कंपनियों को होने वाला लाभ कम हुआ है और इसके रेवेन्यू की बढ़त की रफ्तार धीमी रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार ये पता चला है कि देश की बड़ी, मध्यम और छोटी कंपनियों का इंटरेस्ट कवरेज रेश्यो पिछले तिमाही की तुलना में थोड़ा कम रहकर सुरक्षित लेवल यानी 4-5 के स्तर पर रहा है।
इसका सीधा मतलब ये है कि ये कंपनियां कर्ज के दबाव के बावजूद के भी आराम से ब्याज का भुगतान कर पा रही है। पिछली आर्थिक अवधि में, जब ब्याज दरें बढ़ी तब कर्ज का बोझ भी बढ़ा था, जिसके कारण कंपनियां इस प्रेशर को झेल नहीं पा रही थी। लेकिन अब की बार ये कंपनियां कर्ज में होने के बाद भी अपनी स्थिति को अच्छे से मैनेज कर पा रही है।
बिजनेस की अन्य खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें :- Jio IPO के लिए मुकेश अंबानी ने तैयार किया मास्टरप्लान, रिलायंस के लिए भी सकते हैं आईपीओ
इस रिपोर्ट के आधार पर ये पता चला है कि छोटी कंपनियां भी बड़ी कंपनियों की ही तरह बड़े स्तर के कर्ज को चुकाने में सफल रही है। इसका एक कारण ये भी है कि इन कंपनियों के पास फंड़ जुटाने के लिए और भी रास्ते हैं। कंपनियां अब अपनी प्रमोटर की भूमिका में भी हिस्सेदारी घटा रही है। साथ ही प्रेफरेंशियल इश्यूज और क्वॉलिफाईड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट्स की मदद से भी ये कंपनियां फंड जुटा रही है। ये भी कारण है कि इन कंपनियों के मुनाफे में कमी आयी है और रेवेन्यू की ग्रोथ के बाद भी कर्ज चुकाने में सक्षम है।
साल 2024 में अब तक के समय इन कंपनियों ने 70,000 से भी ज्यादा पूंजी जुटाई है, पिछले साल यही आंकड़ा 67,173 करोड़ रुपये पर था। इसके अलावा इन 68 कंपनियों ने इस साल 1.04 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा क्यूआईपी के जरिए जुटाए है, जो पिछले साल के आंकड़े 49,435 करोड़ रुपये से कहीं गुना ज्यादा है।