आईएलएंडएफएस (सौजन्य : सोशल मीडिया)
नई दिल्ली : दिवाला रेग्यूलेटर ट्रिब्यूनल एनसीएलएटी ने कर्ज में डूबे आईएलएंडएफएस ग्रुप की सब्सिडरी कंपनी आईएलएंडएफएस पारादीप रिफाइनरी वाटर लिमिटेड यानी आईपीआरडब्ल्यूएल को सफल बोलीदाता को बेचने की परमिशन दे दी है।
खबरों के अनुसार बताया जा रहा है कि इससे आईएलएंडएफएस को करीब 1,000 करोड़ रुपये का कर्ज चुकाने में मदद मिल सकती है। आईपीआरडब्ल्यूएल की स्थापना ओडिशा में आईओसी द्वारा विकसित 1.5 करोड़ टन प्रति वर्ष क्षमता वाली पारादीप रिफाइनरी परियोजना की पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए की गई थी।
आईएलएंडएफएस असेट्स को बेचकर अपने कर्ज को कम कर रही है और उसे आईपीआरडब्ल्यूएल में अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए आईओसी से सहमति नहीं मिली थी। ऐसे में आईएलएंडएफएस ने प्रक्रिया की निगरानी कर रहे राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण यानी एनसीएलएटी से मदद की अपील की थी, ताकि आईओसीएल को निर्देश दिया जा सके कि वह उचित वैल्यूएशन पर आईपीआरडब्ल्यूएल में 100 प्रतिशत शेयरहोल्डिंग हासिल करे या फिर इसे बेचने की अनुमति दे।
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दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद एनसीएलएटी ने कहा है कि आईओसी ने शेयरहोल्डिंग के 100 प्रतिशत अक्वीशन के लिए सहमति नहीं दी है, ऐसे में हमारा विचार है कि आईएलएफएंडएस को सोल्यूशन स्क्रचर के अंतर्गत तय प्रक्रिया के अनुसार इसे सफल बोलीदाता को बेचने की परमिशन दी जानी चाहिए। एनसीएलएटी ने हालांकि अपने आदेश में साफ किया कि सफल यूनिट के पास प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए जरूरी टेक्निकल जानकारी होनी चाहिए।
राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण यानी एनसीएलटी भारत में एक अर्ध-न्यायिक निकाय है जो भारतीय कंपनियों से संबंधित मुद्दों पर निर्णय लेता है। कंपनी अधिनियम २०१३ के तहत स्थापित न्यायाधिकरण का गठन १ जून २०१६ को भारत सरकार द्वारा किया गया था और यह दिवालियेपन और कंपनियों के समापन से संबंधित कानून पर वी. बालकृष्ण एराडी समिति की सिफारिश पर आधारित है। कंपनी अधिनियम के तहत सभी कार्यवाही, जिसमें मध्यस्थता , समझौता , व्यवस्था, पुनर्निर्माण और कंपनियों के समापन से संबंधित कार्यवाही शामिल है, राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण यानी एनसीएलटी के समक्ष होनी चाहिए। एनसीएलटी पीठ की अध्यक्षता एक न्यायिक सदस्य द्वारा की जाती है, जो एक कार्यरत या सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय न्यायाधीश होना चाहिए।