फूड ऑयल (सौ. सोशल मीडिया )
देश की आम जनता को जल्द ही राहत मिलने वाली है। आने वाले 2 हफ्तों में खाने के तेल को लेकर कोई अच्छी खबर सुनने के लिए मिल सकती है। जानकारों का कहना है कि आने वाले 2 हफ्तों में खाने के तेल की कीमतों में 6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की जा सकती है।
असल में खाने के तेल पर लगने वाली इंपोर्ट ड्यूटी में 10 प्रतिशत की कटौती करने को लेकर केंद्र सरकार कुछ बड़ा फैसला ले सकता है। जानकारों का ये कहना है कि आने वाले 2 हफ्तों में रिटेल लेवल पर भी खाने के तेल की कीमतों में 5 से 6 प्रतिशत की गिरावट आने की उम्मीद की जा रही है। आइए आपको बताते हैं कि एक्सपर्ट्स की इसको लेकर क्या राय है?
इमामी एग्रोटेक के निदेशक और सीईओ सुधाकर राव देसाई ने कहा है कि खाने के तेल का प्राइस जो हाल के महीनों में लगभग 17 प्रतिशत तक बढ़ गया था, वो आने वाले समय में धीरे-धीरे कम होने लग सकता हैं। हमें उम्मीद है कि यह बहुत जल्द ही 1 अंक पर आ जाएगा। देसाई ने कहा कि हालांकि इसका प्रॉफिट लगभग एक पखवाड़े में रिटेल प्राइस में दिखने की उम्मीद है, लेकिन होलसेल बाजारों में कीमतों में नरमी के शुरुआती संकेत पहले ही दिखायी देने लगे हैं। मूल्य सुधार केवल इंपोर्टेड ऑयल तक ही सीमित नहीं होगा।
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सीईओ सुधाकर राव देसाई ने कहा है कि यहां तक कि सरसों तेल, जो इंपोर्ट पर निर्भर नहीं है, खाने के तेल के बाजार में समग्र गिरावट के प्रेशर के कारण 3 से 4 प्रतिशत की कमी देखने के लिए मिल सकती है। पर्दे के पीछे, नीतिगत बदलाव भारत के खाद्य तेल शोधन इंडस्ट्री को भी नई जान दे रहा है। कच्चे और रिफाइंड ऑयल ड्यूटी के बीच का अंतर 12.5 प्रतिशत से बढ़कर 22.5 प्रतिशत हो गया है, जिससे कंपनियों के लिए कच्चे तेल का इंपोर्ट करना और उसे घरेलू स्तर पर परिष्कृत करना काफी ज्यादा लागत प्रभावी हो गया है। हलदर वेंचर लिमिटेड के प्रबंध निदेशक केशव कुमार हलदर ने कहा कि 10 प्रतिशत शुल्क कटौती, एक बड़ा बदलाव है।