प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली: डिजिटल पेमेंट के लिए आज यूपीआई देश में सबसे ज्यादा पॉपुलर है। इस सुविधा के आने से लोगों का जीवन काफी आसान बन चुका है। हालांकि, बीते दिनों सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफॉर्म्स पर ऐसी खबरें काफी तेजी से वायरल हो रही थी कि दुकानदार यूपीआई के जरिए पेमेंट रिसिव या फिर पैसे भेजते हैं तो मर्चेंट फीस के रूप उन्हें एक्स्ट्रा चार्ज देना पड़ेगा। मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से दावा किया जा रहा था कि सरकार जल्द ही ‘जीरो एमडीआर’ पॉलिसी को बंद करने जा रही है।
ये खबर इतनी सुर्खियों में रही की सरकार को खुद सामने आकर अपनी स्थिति को स्पष्ट करना पड़ा। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए वित्त मंत्रालय ने कहा कि सरकार ऑनलाइन पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन सभी तरह की अफवाहों पर ब्रेक लगाना चाहिए।
वित्त मंत्रालय ने अपने पोस्ट में आगे कहा कि यूपीआई लेनदेन पर एमडीआर चार्ज किए जाने की अटकलें और दावे पूरी तरह से झूठे, निराधार और भ्रामक हैं।इस तरह की निराधार और सनसनी पैदा करने वाली अटकलें हमारे नागरिकों के बीच अनावश्यक अनिश्चितता, भय और संदेह पैदा करती हैं।
सरकार यूपीआई के माध्यम से डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। इस तरह की झूठी चीजें फैलाकर पैनिक क्रिएट करने की कोशिश किया जा रहा है।
Speculation and claims that the MDR will be charged on UPI transactions are completely false, baseless, and misleading.
Such baseless and sensation-creating speculations cause needless uncertainty, fear and suspicion among our citizens.
The Government remains fully committed…
— Ministry of Finance (@FinMinIndia) June 11, 2025
बता दें कि पिछले दिन मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा था कि 3000 रुपये से अधिक की यूपीआई पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) फिर से लगाया जा सकता है। हालांकि, इसके बावजूद भी छोटे ट्रांजैक्शन- 3000 रुपये तक पर कोई चार्ज नहीं लगेगा। जनवरी 2020 से चली आ रही ‘जीरो एमडीआर’ पॉलिसी यानी मर्चेंट्स पर जीरो फीस के नियम को बंद करने का फैसला लिया जा सकता है।
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रिपोर्ट् के मुताबिक, बैंको और पेमेंट कंपनियों की समस्या अधिक हैं। यूपीआई के पास अब 80 प्रतिशत रिटेल डिजिटल ट्रांजैक्शन की हिस्सेदारी है। बड़े ट्रांजैक्शन, खासकर मर्चेंट पेमेंट्स की बढ़ती संख्या से बैंकों का ऑपरेशनल कॉस्ट में इजाफा हुआ है। जीरो एमडीआर पॉलिसी के कारण उन्हें इंवेस्टमेंट का कोई प्रोत्साहन नहीं मिल रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2020 के बाद यूपीआई पर मर्चेंट पेमेंट्स का कुल ट्रांजैक्शन 60 लाख करोड़ रुपये पहुंच चुका है। इतने बड़े लेवल पर फ्री सेवा देना अब टिकाऊ नहीं रहा।