बिजनेसमैन गौतम अदाणी (सौ. डिजाइन फोटो )
SEBI Decision On Gautam Adani: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा अदाणी समूह को क्लीन चिट दिए जाने के बाद, विभिन्न राजनीतिक नेताओं ने इस फैसले का स्वागत किया है।
नेताओं ने सेबी के इस निर्णय को पारदर्शी और निष्पक्ष जांच का नतीजा बताया है। उन्होंने हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट को एक साजिश का हिस्सा और भारतीय अर्थव्यवस्था को बदनाम करने का प्रयास करार दिया।
भाजपा नेता और पूर्व मंत्री राज के. पुरोहित ने हिंडनबर्ग रिसर्च पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने हिंडनबर्ग को एक ‘धोखेबाज संस्था’ बताया, जो अमेरिका से काम करती है और जानबूझकर दूसरे देशों की कंपनियों को निशाना बनाती है। पुरोहित ने कहा, “यह साफ है कि कुछ लोग भारत की प्रगति से परेशान हैं। जैसे-जैसे भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैश्विक मंच पर एक शक्तिशाली नेता के रूप में उभर रहे हैं, ये तत्व परेशान हो रहे हैं।”
बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और भाजपा के राज्यसभा सांसद मनन कुमार मिश्रा ने सेबी के फैसले को एक निष्पक्ष जांच का परिणाम बताया। उन्होंने कहा, “सेबी ने गहन जांच के बाद अदाणी समूह को क्लीन चिट दी है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में हेरफेर किया गया था, जिसका मकसद कुछ लोगों को बदनाम करना था। अब सब कुछ स्पष्ट हो चुका है।” मिश्रा ने जोर देकर कहा कि सेबी की जांच में कोई अनियमितता नहीं हुई और यह पूरी तरह से पारदर्शी रही।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के सांसद प्रफुल्ल पटेल ने भी अदाणी समूह के खिलाफ लगाए गए आरोपों को एक साजिश का हिस्सा बताया। उन्होंने कहा, “कुछ लोग बिना सबूत के सालों से अदाणी समूह को निशाना बना रहे हैं। हिंडनबर्ग एक पेड संस्था है, जिसे कुछ लोगों ने अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल किया।” पटेल ने आरोप लगाया कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इस झूठ को फैलाने की साजिश में शामिल थे।
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने सेबी के फैसले का समर्थन करते हुए कहा, “हमारा लोकतंत्र स्वायत्त संस्थाओं को अपने कर्तव्यों का पालन करने की आजादी देता है। सेबी ने दस्तावेजों की गहन समीक्षा के बाद यह निर्णय लिया, जो उनकी जिम्मेदारी है।” उन्होंने सेबी की सराहना करते हुए कहा कि संस्था ने अपने दायित्वों को पूरी निष्पक्षता के साथ निभाया है।
महाराष्ट्र सरकार के मंत्री छगन भुजबल ने भी इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा, “यह अच्छी बात है कि सही को सही और गलत को गलत कहा गया। सेबी का यह निर्णय निष्पक्षता और पारदर्शिता का प्रतीक है।”
ये भी पढ़ें :- तेजी से बढ़ रहा है भारत का विदेशी मुद्रा भंडार, लंबी छलांग से हो गया 702.9 अरब डॉलर
नेताओं की इन प्रतिक्रियाओं से यह साफ है कि सेबी की क्लीन चिट को सत्ता पक्ष और उसके सहयोगी दलों ने एक बड़ी जीत के रूप में देखा है। यह फैसला अदाणी समूह के खिलाफ लगे आरोपों पर लगे विराम का प्रतीक है, और इसे भारत की वित्तीय नियामक संस्था की विश्वसनीयता की जीत के रूप में भी पेश किया जा रहा है।