ब्रिक्स समिट (सौ. सोशल मीडिया )
नई दिल्ली : आने वाले जुलाई के महीने में ब्रिक्स समिट का आयोजन होने वाला है, जिसमें ब्रिक्स ग्रुप हिस्सा लेने वाले हैं। इसी सिलसिले में ब्रिक्स ग्रुप के टॉप लीडर्स ने ब्रिक्स समिट से जुड़े मुद्दों के लिए रियो डी जेनेरियो में पहुंचने के कुछ हफ्ते पहले ग्रुप के मुख्य सदस्य देशों के दूतों ने इशारा दिया है। उन्होंने कहा है कि ट्रंप सरकार की टैरिफ पर अटैकिंग पॉलिसी के अंतर्गत वे ट्रेड के लिए ब्रिक्स करेंसी के ज्यादा उपयोग पर ध्यान दे सकते हैं।
रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव ने ब्रिक्स में सदस्य देशों के बीच आपसी करेंसी में ट्रेड के लिए अपने मजबूत समर्थन को मंजूर दी है और समूह को ‘बड़ी चुनौतियों के संयुक्त समाधान पर चर्चा के लिए एक गंभीर मंच’ बताया।
शिखर सम्मेलन में प्रस्तावित ब्रिक्स करेंसी पर कोई जरूरी प्रगति होने की उम्मीद नहीं है क्योंकि इसके लिए जरूरी स्ट्रक्चरल चेंज और सुधारों की जरूरत होगी। पिछले कुछ महीनों में, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स सदस्य देशों को अमेरिकी डॉलर की जगह ब्रिक्स करेंसी शुरू करने के खिलाफ चेतावनी दी है।
अलीपोव ने शुक्रवार शाम को ‘रियो में ब्रिक्स: एक समावेशी और सतत विश्व व्यवस्था का निर्माण’ टाइटल से आयोजित एक सम्मेलन में कहा गया है कि ब्रिक्स कोई समूह विरोधी नहीं है। यह उन देशों के लिए गुरुत्व का केंद्र है जो परस्पर सम्मान और गैर-हस्तक्षेप चाहते हैं।
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इस सम्मेलन का आयोजन भारत में ब्राजील के दूतावास और वैश्विक मामलों पर केंद्रित एक प्रमुख शोध संस्थान सेंटर फॉर ग्लोबल इंडिया इनसाइट्स यानी सीजीआईआई ने संयुक्त रूप से किया था। ब्रिक्स यानी ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका समिट 6 और 7 जुलाई को रियो डी जेनेरियो में आयोजित किया जाएगा। ब्राजील इस प्रभावशाली समूह के अध्यक्ष के रूप में शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा और समूह के सदस्य देशों के कई अन्य नेताओं के इस शिखर सम्मेलन में भाग लेने की उम्मीद है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)