तेजस्वी यादव और राहुल गांधी, फोटो- सोशल मीडिया
Bihar Assembly Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ (महागठबंधन) के सहयोगी दलों के बीच सीट बंटवारे पर जारी खींचतान अब चुनावी मैदान तक पहुंच गई है। 17 अक्टूबर, 2025 को पहले चरण के चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख खत्म होने तक भी सभी सहयोगी दलों के बीच कोई सहमति नहीं बन पाई।
इस स्थिति के कारण, कई उम्मीदवारों ने एहतियात बरतते हुए अपना-अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। चुनाव आयोग के अधिकारी के अनुसार, पहले चरण के लिए कुल 1,698 उम्मीदवारों ने नामांकन दर्ज किया है।
पहले समझिए महागठबंधन के दलों द्वारा पहले चरण के लिए दाखिल किए गए नामांकन का गुणा गणित-
• राष्ट्रीय जनता दल (RJD): पार्टी के प्रवक्ता चितरंजन गगन के अनुसार, राजद के कुल 71 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया है। इनमें पार्टी के सीएम पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव (राघोपुर से), राष्ट्रीय महासचिव भोला यादव, मोहम्मद शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा, बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी, आलोक मेहता, ललित यादव, इजरायल मंसूरी और पार्टी के वरिष्ठ नेता भाई वीरेंद्र शामिल हैं।
• कांग्रेस (Congress): राहुल गांधी की पार्टी कांग्रेस से 25 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया है। इनमें ब्रज किशोर रवि, तमिलनाडु की पूर्व डीजीपी अमिता भूषण और प्रतिमा कुमारी प्रमुख हैं।
• अन्य सहयोगी: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) के 14 उम्मीदवार और विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के कुल छह उम्मीदवारों ने भी नामांकन दाखिल किया है। वीआईपी की तरफ से राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष सहनी और उपाध्यक्ष उमेश सहनी ने भी नामांकन दाखिल किया है।
सीट बंटवारे पर सहमति न बनने के कारण, जिन आठ विधानसभा सीटों पर महागठबंधन के सहयोगी दलों के उम्मीदवारों के बीच आपसी घमासान होने की आशंका है, उनमें बछवाड़ा, कहलगांव, लालगंज, गौरा बौराम, तारापुर, वैशाली, राजापाकर और रोसड़ा का नाम शामिल है।
नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख सोमवार (20 अक्टूबर, 2025) तक है। यदि जिन सीटों पर सहयोगी दलों के उम्मीदवारों ने नामांकन भरा है, वे सोमवार तक अपना नामांकन वापस नहीं लेते हैं, तो इन आठ सीटों पर महागठबंधन की सहयोगी पार्टियों के उम्मीदवारों के बीच ही मुकाबला देखने को मिल सकता है।
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गौरतलब है कि इससे पहले, कांग्रेस नेता राहुल गांधी की बिहार में हुई वोटर अधिकार यात्रा में गठबंधन के सहयोगी दलों ने एकजुटता का प्रदर्शन किया था, लेकिन इसके बावजूद सीट बंटवारे पर सहमति नहीं बन पाई और कई मुद्दों पर मतभेद सामने आने लगे।