गाड़ियों की ब्रिकी में क्या आया है अतंर। (सौ. Freepik)
नई दिल्ली: भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की बिक्री में वृद्धि को लेकर जारी एक नई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हाइब्रिड वाहन EVs के लिए चुनौती नहीं, बल्कि सहायक साबित हो रहे हैं। HSBC ग्लोबल रिसर्च द्वारा जारी इस रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में ऑटोमोबाइल उद्योग आने वाले वर्षों में मल्टी-पावरट्रेन सिस्टम पर ही आधारित रहेगा, जिसमें हाइब्रिड, CNG और जैव ईंधन जैसे विकल्प व्यावहारिक समाधान बनकर उभर रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, “हम मानते हैं कि स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (SHEVs) और बैटरी इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (BEVs) एक-दूसरे की बिक्री नहीं घटा रहे हैं, बल्कि दोनों ही अपने-अपने ग्राहक वर्ग को आकर्षित कर रहे हैं।” रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश का उदाहरण दिया गया है, जहां SHEV पर राज्य सरकार द्वारा प्रोत्साहन देने के बावजूद BEV की बिक्री में भी वृद्धि देखी गई है।
HSBC की रिपोर्ट में कहा गया है, “वित्तीय वर्ष 2024-25 में EV और SHEV दोनों की बिक्री समान गति से बढ़ी है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि हाइब्रिड वाहनों को बढ़ावा देने से EV की मांग प्रभावित नहीं हो रही, बल्कि उसका समर्थन हो रहा है।” रिपोर्ट के अनुसार, “यह एक जीरो-सम गेम नहीं है, बल्कि एक समग्र अवसर है जहां SHEV को बढ़ावा देना स्वच्छ गतिशीलता के पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करता है।”
रिपोर्ट में बताया गया है कि बीते छह महीनों में MG विंडसर और M&M की नई BEV लॉन्च के कारण EV की पैठ 1.9% से बढ़कर 3.2% तक पहुंच गई है। वहीं, SHEV की भागीदारी भी FY24 के 2.1% से बढ़कर FY25 में 2.4% हो गई है। MG विंडसर ने बैटरी रिप्लेसमेंट की चिंता को लीज़िंग सॉल्यूशन से हल किया, जबकि M&M ने बड़ी बैटरी और स्टाइलिश डिज़ाइन से EV को फैशन स्टेटमेंट बना दिया।
SHEV सेगमेंट में MSIL और टोयोटा किर्लोस्कर द्वारा सितंबर 2022 में किए गए लॉन्च के बाद, डीजल वाहनों की हिस्सेदारी में गिरावट देखी गई है। हालांकि, FY25 में यह स्थिर हो गई, जिससे हाइब्रिड तकनीक की स्थिति मजबूत मानी जा रही है।