दक्षिण और उत्तर भारत के नियम में क्या है अतंर 

30 Oct 2025

By: Simran Singh

NavBharat Live Desk

दक्षिण भारत में सोने की पायल पहनना क्यों सही माना जाता है

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दक्षिण भारत

दक्षिण भारत में सोना केवल आभूषण नहीं, बल्कि शुभता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। यहाँ सोने की पायल को भी देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद समझा जाता है।

धार्मिक दृष्टिकोण से स्वीकृत

कई दक्षिण भारतीय समुदायों में सोने की पायल पहनना परंपरा का हिस्सा है, खासकर विवाह और धार्मिक अवसरों पर।

सांस्कृतिक मान्यता

यहाँ सोने को अपवित्र नहीं बल्कि दैवीय धातु माना जाता है, और महिलाएं इसे शरीर के हर हिस्से में पहन सकती हैं, यदि श्रद्धा और मर्यादा के साथ पहना जाए।

पवित्रता का भाव

सोने की पायल पहनना सामाजिक रूप से सम्मान और आर्थिक स्थिति का प्रतीक भी है।

परिवार की प्रतिष्ठा का प्रतीक

उत्तर भारत में सोने की पायल पहनना क्यों गलत या अशुभ माना जाता है

उत्तर भारत

उत्तर भारतीय परंपराओं में सोने को देवताओं और पूजा के लिए आरक्षित माना जाता है। इसे पैरों में पहनना देवताओं का अपमान समझा जाता है।

धार्मिक दृष्टि से वर्जित

हिंदू धर्मग्रंथों में कहा गया है कि सोना भगवान विष्णु का प्रतीक है, इसलिए इसे शरीर के निचले हिस्से (पैरों) में धारण करना अशुभ और अनादरपूर्ण माना जाता है।

शास्त्रीय मान्यता

उत्तर भारत में पायल हमेशा चांदी की पहनी जाती है क्योंकि चांदी को धरती और शीतलता का प्रतीक माना गया है, जो पैरों से जुड़ी ऊर्जा को संतुलित करती है।

चांदी का प्रतीकात्मक महत्व

उत्तर भारत में परंपराएं अधिक संस्कार और धार्मिक अनुशासन पर आधारित हैं, जबकि दक्षिण भारत में आभूषणों को सौंदर्य और समृद्धि के दृष्टिकोण से देखा जाता है।

सांस्कृतिक अंतर

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