By - Deepika Pal Image Source: Social Media
रंगों के त्योहार होली से पहले होलिका दहन का त्योहार मनाया जाता है। कहते हैं कि, होली की अग्नि से नेगेटिविटी खत्म हो जाती है।
इस बार होलिका दहन पर भद्रा का साया है इसलिए दहन इस दौरान नहीं किया जाता। इसके अशुभ परिणाम मिलते है।
13 मार्च को भद्रा पूंछ शाम 06.57 मिनट से रात 08.14 तक रहेगा. इसके बाद भद्रा मुख का समय शुरू हो जाएगा जो रात 10.22 मिनट तक रहेगा।
होलिका दहन के लिए 13 मार्च को रात 11 बजकर 26 से देर रात 12 बजकर 30 मिनट का समय उत्तम है।
पुराणों के अनुसार भद्रा सूर्य की पुत्री और शनि देव की बहन है। भद्रा क्रोध के स्वरूप माना गया है इसके लिए भद्रा के समय किसी भी काम की शुरुआत वर्जित मानी गई है।
भद्राकाल में होलिका दहन करना अनिष्टा का स्वागत करने के समान है इसलिए दहन करने से बचना चाहिए।
भद्र योग कर्क, सिंह, कुंभ व मीन राशि में चन्द्रमा के विचरण पर भद्रा विष्टिकरण का योग होता है तब भद्रा पृथ्वी लोक में निवास करती है