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क्यों नहीं होता भद्रा में होलिका दहन, जानिए इसका कारण

रंगों के त्योहार होली से पहले होलिका दहन का त्योहार मनाया जाता है। कहते हैं कि, होली की अग्नि से नेगेटिविटी खत्म हो जाती है।

 होलिका दहन

इस बार होलिका दहन पर भद्रा का साया है इसलिए दहन इस दौरान नहीं किया जाता। इसके अशुभ परिणाम मिलते है।

भद्रा का साया

13 मार्च को भद्रा पूंछ शाम 06.57 मिनट से रात 08.14 तक रहेगा. इसके बाद भद्रा मुख का समय शुरू हो जाएगा जो रात 10.22 मिनट तक रहेगा।

कब तक रहेगा असर

  होलिका दहन के लिए 13 मार्च को रात 11 बजकर 26 से देर रात 12 बजकर 30 मिनट का समय उत्तम है।

होलिका दहन मुहूर्त 

पुराणों के अनुसार भद्रा सूर्य की पुत्री और शनि देव की बहन है। भद्रा क्रोध के स्वरूप माना गया है इसके लिए भद्रा के समय किसी भी काम की शुरुआत वर्जित मानी गई है।

पौराणिक कारण

भद्राकाल में होलिका दहन करना अनिष्टा का स्वागत करने के समान है इसलिए दहन करने से बचना चाहिए।

भद्रा का ख्याल

भद्र योग कर्क, सिंह, कुंभ व मीन राशि में चन्द्रमा के विचरण पर भद्रा विष्टिकरण का योग होता है तब भद्रा पृथ्वी लोक में निवास करती है

भद्र योग