By - Deepika Pal Image Source: Social Media
26 फरवरी को महाशिवरात्रि मनाई जाने वाली है, यहां पर सभी देवी-देवताओं और मंदिरों की पूरी परिक्रमा की जाती है, वहीं शिवलिंग की आधी परिक्रमा होती है।
शिवलिंग की आधी परिक्रमा को शास्त्र संवत माना गया है, इसे चंद्राकार परिक्रमा कहा जाता है।
शिवलिंग को शिव और शक्ति दोनों की सम्मिलित ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है।
शिवलिंग पर अर्पित किए गए जल को लांघना नहीं चाहिए, शिव और शक्ति की ऊर्जा के कुछ अंश मिल जाते हैं। शास्त्रों में जलाधारी को लांघना घोर पाप माना गया है।
शिवलिंग के आकार और एटॉमिक रिएक्टर सेंटर के आकार में आपको समानता नजर आती है।
शिवलिंग की परिक्रमा के दौरान भक्त उनकी जलाधारी तक जाकर वापस लौट लेते हैं. ऐसे में अर्द्ध चंद्र का आकार बनता है यही परिक्रमा है।
कही कहीं जलाधारी ढकी हुई होती है. ऐसी स्थिति में शिवलिंग की पूरी परिक्रमा की जा सकती है।