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आखिर क्यों की जाती है शिवलिंग की आधी परिक्रमा, जानिए इसके बारे में

26 फरवरी को महाशिवरात्रि मनाई जाने वाली है, यहां पर सभी देवी-देवताओं और मंदिरों की पूरी परिक्रमा की जाती है, वहीं शिवलिंग की आधी परिक्रमा होती है।

शिवलिंग  की परिक्रमा

शिवलिंग की आधी परिक्रमा को शास्त्र संवत माना गया है, इसे चंद्राकार परिक्रमा कहा जाता है।

शास्त्र संवत 

 शिवलिंग को शिव और शक्ति दोनों की सम्मिलित ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है।

 ऊर्जा का प्रतीक

  शिवलिंग पर अर्पित किए गए जल को लांघना नहीं चाहिए, शिव और शक्ति की ऊर्जा के कुछ अंश मिल जाते हैं। शास्त्रों में जलाधारी को लांघना घोर पाप माना गया है।

जलाधारी

शिवलिंग के आकार और एटॉमिक रिएक्टर सेंटर के आकार में आपको समानता नजर आती है।

वैज्ञानिक वजह

शिवलिंग की परिक्रमा के दौरान भक्त उनकी जलाधारी तक जाकर वापस लौट लेते हैं. ऐसे में अर्द्ध चंद्र का आकार बनता है यही परिक्रमा है।

चंद्राकार परिक्रमा

 कही कहीं जलाधारी ढकी हुई होती है. ऐसी स्थिति में शिवलिंग की पूरी परिक्रमा की जा सकती है।

ऐसे  लांघ सकते हैं जलाधारी