By - Simran Singh

Image Source: Freepik

देवी भागवत पुराण

देवी भागवत पुराण में लिखा है कि रुद्राक्ष का जन्म भगवान शिव के आंसुओं से हुआ था। 

शिव की भक्ति करने वालों के लिए रुद्राक्ष पूजनीय होता जिसको गले में धारण करते हैं।

पवित्र रुद्राक्ष

रुद्राक्ष का अर्थ है रुद्र की आखें भी है। जो शिव जी का तीसरा नेत्र है।

शिव का तीसरा नेत्र

मानवा जाता है कि भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया तो उनकी आंखों से आंसू टपक जिससे रुद्राक्ष के वृक्ष बने।

त्रिपुरासुर वध

शिवपुराण में सती के भस्म होने के दुख में शिव के आंसू छलके और रुद्राक्ष बन ऐसा लिखा है।  

कथा में उल्लंख

सती के शरीर को लेकर पूरी सृष्टि में शिव घूम थे। जिससे उनके आंसू गिरे और रुद्राक्ष के वृक्ष उग गए।

पूरी सृष्टि में गिरे आंसू

भगवान शिव की पूजा में रुद्राक्ष अहम होता है। इससे अकाल मौत और ग्रह शांति से सुरक्षा होती है। 

पूजा में अहम

ऐसा सांप जो इंसानों से ज्यादा है इंटेलिजेंट