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महाकुंभ 2025 प्रयागराज के संगम तट पर आयोजित हो रहा है जो 26 फरवरी तक चलेगा।
इस पवित्र संगम में स्नान करने के लिए साधु संत के अलावा दुनियाभर से श्रद्धालु आते हैं।
कुंभ में नागा साधु और अघोरी सबके लिए आकर्षण का केंद्र का होत है। वहीं, दोनों में काफी अंतर होता है।
सनातन धर्म के अनुसार नागा साधुओं को धर्म के रक्षक माने जाते हैं।
वहीं अघोरी अपनी अद्भुत और रहस्यमयी प्रथाओं की वजह से जाने जाते हैं।
नागा साधु और अघोरी के तप, रहने, ध्यान, आहार, जीवन शैली के तरीके काफी अलग होते हैं।
दोनों ही भगवान शिव की आराधना करते हैं। उन्हें 12 वर्ष की कठोर तपस्या करनी पड़ती है।
नागा साधु कड़ाके की ठंड में भी नग्न अवस्था में रहते हैं। वह खुद को भगवान का दूत मानते हैं।