By: Simran Singh
NavBharat Live Desk
धातुओं को शरीर की ऊर्जा संतुलन का माध्यम माना जाता था, जैसे तांबा, चांदी, सोना शरीर की गर्म–ठंडी प्रकृति को नियंत्रित करते हैं।
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तांबा पहनने से शरीर की गर्मी कम होती थी, इसे सूजन, दर्द और त्वचा समस्याओं के लिए लाभकारी माना जाता था।
चांदी को शुद्धता और ठंडक का प्रतीक माना जाता था, इसे पहनने से मन शांत रहता है और शरीर पर बैक्टीरिया का प्रभाव कम होता था।
सोना पहनना शारीरिक शक्ति और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला माना जाता था, खासकर राजा–महाराजाओं में इसकी लोकप्रियता इसलिए ज्यादा थी।
लौह पहनने से मानसिक और शारीरिक मजबूती बढ़ती मानी जाती थी, इसे नकारात्मक ऊर्जा से बचाव का साधन समझा जाता था।
पीतल का उपयोग पुराने समय में त्वचा रोगों और शरीर की गर्मी कम करने के लिए होता था, इसे पहनने से शरीर का तापमान संतुलित रहता था।
कांसा पहनने से पाचन तंत्र और रक्त संचार को बेहतर माना जाता था, कई पुरानी किताबों में इसके स्वास्थ्य लाभ लिखे गए हैं।
जिंक या जस्ता पहनने से त्वचा संबंधी समस्याएं कम होने का विश्वास था, इसे बच्चों को बुरी नजर से बचाने के लिए भी पहनाया जाता था।