By: Simran Singh
NavBharat Live Desk
भारत में आलता को शुभता, सौंदर्य और परंपरा का प्रतीक माना जाता है, विशेषकर बंगाल, ओडिशा और बिहार में।
Image Source: Freepik
दुल्हनों के पैरों में आलता लगाना एक पुरानी परंपरा है जो सुहाग और समर्पण का संकेत देती है।
Image Source: Freepik
देवी पूजन, दुर्गा पूजा और लोक नृत्यों में महिलाएं आलता लगाकर धार्मिक भावनाओं को व्यक्त करती हैं।
Image Source: Freepik
कथक, भरतनाट्यम और छऊ जैसे लोक नृत्यों में पैरों पर आलता लगाने की परंपरा आज भी जीवित है।
Image Source: Freepik
आलता को पारंपरिक रूप से फूलों, चंदन और अन्य प्राकृतिक तत्वों से बनाया जाता था, जिससे यह त्वचा के लिए सुरक्षित होता है।
Image Source: Freepik
जहां मेंहदी हाथों की शोभा बढ़ाती है, वहीं आलता पैरों की सुंदरता का प्रतीक बनकर भारतीय संस्कृति की जड़ों से जुड़ी हुई है।
Image Source: Freepik
बदलते फैशन और समय के बावजूद पारंपरिक आयोजनों में आज भी आलता का स्थान बना हुआ है।
Image Source: Freepik