आलता का होता है भारत में खास महत्व

24nd April 2025

By: Simran Singh

NavBharat Live Desk

भारत में आलता को शुभता, सौंदर्य और परंपरा का प्रतीक माना जाता है, विशेषकर बंगाल, ओडिशा और बिहार में।

आलता का सांस्कृतिक महत्व

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दुल्हनों के पैरों में आलता लगाना एक पुरानी परंपरा है जो सुहाग और समर्पण का संकेत देती है।

शादी-विवाह में प्रयोग

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देवी पूजन, दुर्गा पूजा और लोक नृत्यों में महिलाएं आलता लगाकर धार्मिक भावनाओं को व्यक्त करती हैं।

धार्मिक अनुष्ठानों में उपयोग

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कथक, भरतनाट्यम और छऊ जैसे लोक नृत्यों में पैरों पर आलता लगाने की परंपरा आज भी जीवित है।

नृत्य और लोक परंपराओं में

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आलता को पारंपरिक रूप से फूलों, चंदन और अन्य प्राकृतिक तत्वों से बनाया जाता था, जिससे यह त्वचा के लिए सुरक्षित होता है।

प्राकृतिक सौंदर्य प्रसाधन

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जहां मेंहदी हाथों की शोभा बढ़ाती है, वहीं आलता पैरों की सुंदरता का प्रतीक बनकर भारतीय संस्कृति की जड़ों से जुड़ी हुई है।

मेंहदी से अलग पहचान

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बदलते फैशन और समय के बावजूद पारंपरिक आयोजनों में आज भी आलता का स्थान बना हुआ है।

आधुनिकता में भी प्रचलन

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