महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग- 'पृथ्वी की नाभि में विराजमान हैं महादेव, सावन में करें दर्शन!'
मध्य प्रदेश के उज्जैन में पवित्र सलिला शिप्रा नदी के तट पर भगवान शिव महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान हैं।
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महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का अपना ही महत्व है। ऐसा माना जाता है कि महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग पृथ्वी पर स्थापित एकमात्र दक्षिणमुखी शिवलिंग है।
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जहां यह ज्योतिर्लिंग स्थापित है, वहां कर्क रेखा अपने शिखर से होकर गुजरती है। इसे पृथ्वी के नाभि स्थान की मान्यता प्राप्त है।
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स्वयंभू, भव्य एवं दक्षिणमुखी होने के कारण महाकालेश्वर महादेव का अत्यंत पुण्य महत्व है।
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इस मंदिर का निर्माण मराठों के शासन काल में हुआ था, बाद में राजा भोज ने इस मंदिर का विस्तार किया।
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यह तीन भागों में बटा हुआ है। नीचे के भाग में हम महाकालेश्वर, बीच में ओंकारेश्वर और ऊपर के भाग में श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर को देखते है।
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ऐसी मान्यता है कि जब इल्तुतमिश ने मंदिर तुड़वाया तो उसने शिवलिंग को इसी स्थान पर फेंक दिया था। बाद में इसकी पुनर्प्रतिष्ठा कराई गई।
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हाल ही में इसके 118 शिखरों पर 16 किलो सोने की परत चढ़ाई गई है। अब मंदिर में दान के लिए इंटरनेट सुविधा भी शुरू कर दी गई है।
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मंदिर में एक प्राचीन कुंड स्थित है, जहां वर्तमान में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग विद्यमान है। इसमें स्नान करके आप पाप से मुक्त होकर अपने जीवन की कठिनाइयों से छुटकारा पा सकते हैं।
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हर 12 साल बाद लगने वाला कुंभ मेला यहां का सबसे बड़ा मेला है, जिसमें देश-विदेश से कई साधु-संत आते हैं और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।