By: Simran Singh
NavBharat Live Desk
केवल विशेष परिस्थितियों में ही महिलाएं तलाक ले सकती हैं, पति की अनुमति या अदालत की स्वीकृति ज़रूरी होती है।
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महिलाओं के तलाक के अधिकार बहुत सीमित हैं, सामाजिक दबाव और तालिबानी कानून इसे और कठिन बनाते हैं।
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तलाक की प्रक्रिया में पुरुषों को प्राथमिकता मिलती है, महिलाएं “खुला” के जरिए तलाक ले सकती हैं, लेकिन कारण साबित करना जरूरी है, पति की रज़ामंदी भी ज़रूरी होती है।
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शरीयत कानून लागू है, जिसमें पुरुष आसानी से तलाक दे सकते हैं, महिलाओं को अदालत से लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद ही तलाक मिल पाता है।
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महिलाओं के पास तलाक लेने की स्वतंत्रता नहीं होती, उन्हें विवाह विच्छेद के लिए काफी सामाजिक और कानूनी अड़चनें झेलनी पड़ती हैं।
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शरीयत आधारित नियमों के तहत पुरुषों को तलाक का ज्यादा हक है, महिलाओं को तलाक के लिए कई प्रमाण देने पड़ते हैं।
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यहां भी इस्लामी कानून लागू हैं, जिसमें महिलाओं के तलाक अधिकार सीमित हैं, पुरुषों की सहमति के बिना महिलाओं के लिए तलाक पाना बेहद कठिन होता है।
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