By - Simran Singh
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Date-10-02-2025
हिंदू धर्म में शवों को जलाकर अंतिम संस्कार किया जाता है। परंपरा के अनुसार अस्थियों को गंगा नदी में भी विसर्जित किया जाता है।
ऐसे में यह जानना दिलचस्प होगा कि पाकिस्तान में हिंदुओं की अस्थियों को किस नदी में विसर्जित किया जाता है और अंतिम संस्कार के बाद क्या होता है।
अस्थियों के विसर्जन के बाद आत्मा को शांति मिलती है, हालांकि पाकिस्तान में रहने वाले हिंदुओं को अस्थियों के विसर्जन के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है।
पाकिस्तान में हिंदुओं के दाह संस्कार पर कोई रोक नहीं है, सरकार ने मुसलमानों की तरह हिंदुओं को भी दाह संस्कार के लिए जमीन आवंटित की है।
हिंदुओं के लिए सबसे बड़ा श्मशान घाट कराची के ल्यारी में बनाया गया है। जिसे ब्रिटिश शासन के दौरान बनाया गया था लेकिन आजादी के बाद से यह खाली है।
पाकिस्तान में दाह संस्कार के लिए सामग्री बहुत महंगी है और हर जगह उपलब्ध नहीं है। श्मशान घाट होने के बावजूद 80% हिंदू यानी 70 लाख हिंदू आबादी शवों को दफनाती है।
हिंदू शवों को मुस्लिम तरीके से नहीं दफनाया जाता है। यहां शव को लेटाकर दफनाया जाता है। दफनाने के बाद उस पर शंकु के आकार की कब्र बनाई जाती है।
पाकिस्तान में हिंदू समुदाय के लोगों का अंतिम संस्कार किया जाता है। उनकी अस्थियों को वहां की नदियों में विसर्जित किया जाता है। हालांकि, लोगों को गंगा में अस्थियों को विसर्जित करने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है।
कई हिंदू परिवार चाहते हैं कि उनके प्रियजनों की अस्थियां गंगा में विसर्जित की जाएं। ऐसे में अस्थियों को भारत लाने के लिए लंबी प्रक्रिया का सामना करना पड़ता है।
पाकिस्तान से 400 से अधिक अस्थि कलश भारत लाए गए हैं, जिन्हें हरिद्वार में गंगा नदी में विसर्जित किया जाएगा, इन अस्थियों को अटारी सीमा के जरिए भारत लाया जाता है।
भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद अब तक तीन बार अस्थियाँ भारत लाई जा चुकी हैं, जिनकी संख्या 2011 में 135 और 2016 में 160 थी।