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Date-29-03-2025
भारत में विभिन्न समुदायों की आर्थिक स्थिति समय-समय पर सरकारी रिपोर्ट्स और सर्वे के माध्यम से सामने आती रहती है। हिंदू और मुस्लिम समुदायों की औसत संपत्ति निम्नलिखित है।
भारत की लगभग 80% जनसंख्या हिंदू धर्म का पालन करती है, जो व्यापारी वर्ग, किसान, नौकरीपेशा और उद्योगपति सभी शामिल हैं।
NSSO (National Sample Survey Office) और अन्य रिपोर्ट्स के अनुसार, हिंदुओं की औसत वार्षिक आय और संपत्ति मुस्लिमों की तुलना में अधिक पाई गई है।
हिंदू समुदाय के उच्च वर्ग (जैसे ब्राह्मण, वैश्य, राजपूत) आर्थिक रूप से अधिक सशक्त माने जाते हैं, बड़ी कंपनियों, IT सेक्टर, प्रशासनिक सेवाओं और राजनीति में हिंदुओं का वर्चस्व अधिक है।
मुस्लिम भारत की दूसरी सबसे बड़ी आबादी (~14.2%) रखते हैं, सच्चर कमेटी रिपोर्ट (2006) और अन्य आर्थिक सर्वे के अनुसार, मुस्लिम समुदाय की औसत संपत्ति और आय हिंदू समुदाय से कम पाई गई थी।
मुस्लिम समुदाय में शिक्षा की कमी और सरकारी नौकरियों में कम भागीदारी आर्थिक असमानता का एक कारण रही है।
मुस्लिमों में व्यापार (कपड़ा, चमड़ा, खान-पान) करने वालों की संख्या अधिक होती है, लेकिन बड़े उद्योगों और कॉरपोरेट सेक्टर में इनकी उपस्थिति कम है।
आर्थिक रूप से सशक्त मुस्लिमों में मुख्य रूप से गुजरात, महाराष्ट्र, केरल और उत्तर प्रदेश के व्यापारी और कारोबारी शामिल हैं।
2015 की एक रिपोर्ट के अनुसार, औसत हिंदू परिवार के पास मुस्लिम परिवार की तुलना में अधिक संपत्ति पाई गई।
औसतन हिंदू परिवार की संपत्ति 7 लाख रुपये थी, जबकि मुस्लिम परिवार की औसत संपत्ति 4.4 लाख रुपये थी।
यह तुलना औसत आंकड़ों के आधार पर है, व्यक्तिगत स्तर पर भिन्नताएं हो सकती हैं।