सावन में करें मां मंगला गौरी व्रत और पूजा, मांगलिक दोष से मिलेगी मुक्ति

माता पार्वती को गौरी के नाम से भी जाना जाता है, उनके मंगल स्वरूप को मंगला गौरी कहा जाता है।

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मंगला गौरी का व्रत सावन के हर मंगलवार को रखने का विधान है।

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इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से मां गौरी की विशेष कृपा प्राप्त होगी।

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इस व्रत में दिन में केवल एक बार भोजन कर माता पार्वती का पूजन किया जाता है।

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अगर विवाहित महिलाएं विशेष रूप से मां मंगला गौरी का व्रत रखती हैं तो उन्हें अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान मिलता है।

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जिन लड़के-लड़कियों की कुंडली में मांगलिक दोष होता है और उनकी शादी में दिक्कतें आती हैं, उन्हें इस व्रत के प्रभाव से जीवनसाथी मिलता है।

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जिन लोगों की कुंडली में मांगलिक दोष है उन्हें सावन में मां मंगला गौरी की पूजा करके विशेष आशीर्वाद मिल सकता है।

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इस साल का पहला मंगला गौरी व्रत सावन के पहले ही दिन यानी 4 जुलाई, मंगलवार को मनाया जाएगा।

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सावन के पहले मंगला गौरी व्रत वाले दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

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इसके बाद साफ लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाएं। फिर चौकी पर मां गौरी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।

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व्रत का संकल्प लेकर आटे से बना हुआ दीपक प्रज्वलित करें। इसके बाद धूप, नैवेद्य फल-फूल आदि से मां गौरी का पूजन करें।

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पूजा पूर्ण होने पर मां गौरी की आरती करें और उनसे प्रार्थना करें।

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