इन फलों के बिना अधूरी है छठी मैया की पूजा, जानिए इसका महत्व
छठ महापर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया
जाता है।
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इस साल यह त्योहार 19 नवंबर 2023 को मनाया जाएगा और इसकी शुरुआत 17 नवंबर से हो रही है।
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4 दिनों तक चलने वाले इस त्योहार का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है।
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इस त्योहार पर महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं।
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महिलाएं पवित्र नदियों में स्नान करती हैं और छठी मैया की पूजा करती हैं।
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इस दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य और अगले दिन सूर्योदय के बाद अर्घ्य देकर छठ का व्रत खोला जाता है।
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छठ पूजा के दौरान श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए हिंदू धर्म का पवित्र फल नारियल
चढ़ाते हैं।
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नारियल को सुख, समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।
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छठ पूजा में छठी मैया को केले का भोग लगाए बिना पूजा अधूरी मानी जाती है।
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भगवान विष्णु और छठी मैया का पसंदीदा फल केला चढ़ाने से वे प्रसन्न होते हैं और सभी कष्ट दूर कर देते हैं।
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गन्ने के बिना छठी मैया की पूजा अधूरी मानी जाती है।
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छठ पूजा के दौरान गन्ने का घर बनाकर पूरा परिवार उसमें बैठकर पूजा करता है।
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ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और खुशहाली आती है।
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नींबू को खट्टा फल माना जाता है, इसे अर्पित करने से छठ पूजा का महत्व और भी बढ़ जाता है।
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सुपारी को हिंदू धर्म में सुख, समृद्धि, सौभाग्य और धन का प्रतीक माना जाता है।
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छठ पूजा के दौरान सुपारी चढ़ाने से भगवान सूर्य और छठी माता की कृपा मिलती है।
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छठ पूजा में सिंघाड़ा चढ़ाने से माता परिवार में सुख-समृद्धि प्रदान करती हैं।
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