By - Simran Singh
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Date-13-02-2025
भागवत स्वरूप प्रेमानंद जी महाराज सलाह देते हैं कि स्त्री को परम धर्म का पालन करना चाहिए तथा अपने परिवार और पति को ईश्वर का स्वरूप मानकर उनकी पूजा करनी चाहिए।
झगड़ा, कलह और अशांति तब होती है जब हमारा मन विवेकशील होता है, सभी लोग ईश्वरीय मन से प्रेमपूर्वक जीवन जीते हैं।
यदि परिवार की सेवा ईश्वरीय मन से की जा रही है, तो ये लोग आपसे बहुत प्रसन्न होंगे।
प्रेमानंद जी महाराज ने बताया कि यदि पति प्रतिकूल व्यवहार करता है, हर पल दुख देता है, तो उसके प्रति भी ईश्वरीय भाव रखें।
इस प्रकार पतिव्रता पत्नी एक दिन अपने पति को वश में करके सभी सुखों को प्राप्त करेगी।
पति का परम कर्तव्य है कि वह अपनी पत्नी को अपना जीवन समझे, कटु स्वभाव वाली पत्नी को सहन करे, यदि पत्नी पति का प्रेम नहीं चाहती तो उसे उसके हर व्यवहार को सहन करना चाहिए।
पति-पत्नी का अपने बच्चों के प्रति कर्तव्य है कि उन्हें शिक्षित करें और उन्हें सशक्त बनाएं, उनकी योग्यता के अनुसार उनका विवाह करें और उन्हें नौकरी आदि में देखें, तब तक उनके लिए कोई धार्मिक कार्य या तीर्थ यात्रा नहीं है।
भाई का कर्तव्य है कि वह छोटे भाई के प्रति पुत्र जैसा व्यवहार करे, यदि वह दो इंच अधिक जमीन ले रहा है तो झगड़ा नहीं करना चाहिए, उसे जाने देना चाहिए।
इसी प्रकार छोटे भाई को बड़े भाई के प्रति पिता जैसा व्यवहार करना चाहिए, उसका सम्मान करना चाहिए और उसका कभी अपमान नहीं करना चाहिए।
बहन के प्रति हमेशा सुरक्षा की भावना रखनी चाहिए, जब तक उसकी शादी नहीं हो जाती, उस पर कोई दोष नहीं लगाना चाहिए, यह छोटे भाइयों का कर्तव्य है।