By - Deepika Pal
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हिंदू धर्म में माता लक्ष्मी के 8 स्वरूपों का वर्णन किया गया है।
मां लक्ष्मी का पहला स्वरूप हैं मूल लक्ष्मी,महालक्ष्मी भी कहते हैं पूजा करने से लोक-परलोक में सुख-संपदा प्राप्त होती है।
देवी लक्ष्मी के दूसरे स्वरूप की बात करें तो, इनकी पूजा करने सेआर्थिक परेशानियां दूर होती हैं, कर्ज से मुक्ति मिलती है।
मां लक्ष्मी का तीसरा स्वरूप का संबंध धन संपदा से जुड़ा हुआ है। जिन घरों में अन्न का सम्मान किया जाता है माता वहां निवास करती है।
माता का चौथा स्वरूप हाथी के उपर कमल पुष्प पर विराजमान हैं पूजा करने से व्यक्ति को संतान सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
माता का पांचवा स्वरूप स्कंदमाता के रूप जैसा है इनकी आराधना करने से भक्तों को माता का संतान रूप में फल मिलता है।
माता के इस स्वरूप में आठ भुजाएं सुशोभित है माता वीर लक्ष्मी भक्तों को अकाल मृत्यु से बचाती हैं।
मां के इस स्वरूप की पूजा करने से भक्तों को जीवन के हर क्षेत्र में जय-विजय की प्राप्ति होती है।
मान्यता है कि इस स्वरूप की पूजा करने से शिक्षा के क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।