विश्व पर्यावरण दिवस: क्यों बढ़ रहा जलसंकट, क्या है कारण और समाधान

विकास के नाम पर प्राकृतिक जलस्रोत नदी, तालाब, कुआं आदि का जबरदस्त दोहन किया जा रहा है, जो एक दिन गंभीर जल संकट उत्पन्न कर देगा।

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वातावरण में प्रदुषण के कारण हीट वेब पैदा हो रही है, जिसकी वजह से हजारों छोटी नदियां विलुप्त हो गई, तालाब और कुंआ सूख चुके हैं।

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भारत में प्रति व्यक्ति भूमिगत जल की उपलब्धि 5,120 लीटर हो गई है।

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वैज्ञानिकों ने आगामी कुछ सालों में गंभीर जलसंकट की चेतावनी दी है।

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अगले तीन दशक में पानी का उपभोग एक फीसदी की दर से भी बढ़ता है, तो दुनिया को बड़े जल संकट से गुजरना होगा।

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इसका सबसे बड़ा कारण जलवायु परिवर्तन, नदी, झील और जलाशयों का खत्म होना होगा।

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दुनिया में उद्योग-धंधों का बढ़ता जाल भी पानी की किल्लत का एक प्रमुख कारण है।

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इसलिए विकसित शहरों में अभी से ही लोग पानी की किल्लत को महसूस करने लगे हैं।

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 वहीं बैंगलुरु, दिल्ली, मुंबई, चेन्नई हैसे शहरों में काफी पानी की किल्लत होने लगी है।

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