By - Preeti Sharma
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पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भृगु ऋषि और अन्य मुनी यज्ञ कर रहे थे जहां पर नारद जी भी उपस्थित थे।
नारद ने इस दौरान ऋषियों से पूजा कि वह इस यज्ञ का फल किस देवता को देना चाहेंगे। ऋषियों ने कहा तीनों देव में से जो सर्वश्रेष्ठ होगा।
लेकिन तीनों देवताओं में से कौन सबसे श्रेष्ठ है इसका फैसला कैसा किया जाएगा। इस समस्या का समाधान निकालने के लिए भृगु ऋषि को चुना गया।
भृगु ऋषि सबसे पहले ब्रह्मा जी के पास गए लेकिन वह उस वक्त सरस्वती जी से बात करने में व्यस्त थे। तब भृगु ऋषि ने उन्हें श्राप दिया।
भृगु ऋषि शंकर जी के पास गए तो वह माता पार्वती से बात करने व्यस्त थे तब ऋषि ने उन्हें श्राप देते हुए कहा कि पृथ्वी पर सिर्फ उनका शिवलिंग रूप ही पूजा जाएगा।
जब भृगु ऋषि भगवान विष्णु के पास गए तो वह भी माता लक्ष्मी से वार्तालाप करने में व्यस्त थे।
तब भगवान विष्णु की छाती पर भृगु ऋषि ने जोर से लात मारी लेकिन भगवान को इस बात पर गुस्सा नहीं आया।
भृगु ऋषि से जब भगवान विष्णु ने क्षमा मांगी तो वह काफी प्रसन्न हुए और विष्णु जी को सर्वश्रेष्ठ देवता कहा।