By: Preeti Sharma
NavBharat Live Desk
हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा मनाई जाती है।
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इस साल 6 अक्टूबर को शारदीय पूर्णिमा है जो विशेष रूप से चांद की पूजा के लिए जाना जाती है।
पुराणों में शरद पूर्णिमा को खीर बनाकर भगवान को अर्पित करने का उल्लेख मिलता है।
इस रात चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है और अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है।
इस दिन चंद्रमा की चांदनी को अमृतमयी माना जाता है और खीर अमृत समान हो जाती है।
जड़ी-बूटियों और औषधियों को रात चांदनी में रखने से औषधीय शक्ति चार गुना बढ़ जाती है।
इसके अलावा शरद पूर्णिमा को मां लक्ष्मी के प्राकट्योत्सव के रूप में मनाया जाता है।
मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाकर प्रसाद के रूप में खाने से मां का आशीर्वाद प्राप्त होता है।