गणेश चतुर्थी पर क्यों कलंकित माना जाता है चंद्रमा? जानें यहां!

गणेश चतुर्थी में 11 दिनों में गणेश जी के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। इस पर्व के दौरान लोग अपने घर में गणेश जी की मूर्ति स्थापित करते हैं और चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन किया जाता है।

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धर्म शास्त्रों में घर में या पूजा प्रारंभ के समय भगवान गणेश को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। कोई भी शुभ काम करने से पहले भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है।

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चतुर्दशी के दिन चंद्रमा का दर्शन काफी अशुभ माना जाता है। इसे कलंक चतुर्दशी के रूप में भी जाना जाता है।

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धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि इस तिथि की रात को चंद्रमा के दर्शन करने से भविष्य में झूठे आरोप लगने का भय नहीं रहता है। इसलिए इस दोष से बचने के लिए चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए।

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ऐसा माना जाता है कि जब भगवान श्री गणेश जी ने अपने पिता शिव और माता पार्वती की परिक्रमा की और प्रथम पूज्य कहलाये तो सभी देवी-देवताओं ने उनकी पूजा की। लेकिन चंद्रदेव को अपने रूप और सुंदरता पर बहुत घमंड था।

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चंद्रदेव चाहते थे कि उन्हें प्रथम पूज्य व्यक्ति माना जाए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इससे क्रोधित होकर भगवान गणेश ने चंद्रमा को काला होने का श्राप दे दिया। इस श्राप के बाद चंद्रमा को अपनी गलती का एहसास हुआ।

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यह भी माना जाता है कि श्री कृष्ण ने भी चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन किये थे, जिसके कारण उन पर मणि चोरी का झूठा आरोप लगाया गया था। इसलिए इस दिन चंद्रमा को सीधे देखने से रोका जाता है।

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यदि गणेश चतुर्थी पर गलती से चंद्रमा के दर्शन हो जाएं तो बिल्कुल भी घबराएं नहीं। ।। सिंह: प्रसेन मण्वधीत्सिंहो जाम्बवता हत:। सुकुमार मा रोदीस्तव ह्येष: स्यमन्तक:।। का जाप कर चंद्र दोष से मुक्ति पा सकते हैं।

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अगर आप घर के मुख्य द्वार पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करते हैं तो इस बात का अवश्य ध्यान रखें कि मूर्ति वहीं लगाएं जहां उनकी सूंड दक्षिण दिशा की ओर जाती हो। ताकि घर में सुख समृद्धि बनी रहे। 

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी केवल मान्यताओं, धार्मिक जानकारी और इंटरनेट पर उपलब्ध सामग्री के आधार पर लिखी गई है। नवभारत मीडिया किसी भी जानकारी का समर्थन या पुष्टि नहीं करता है।

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