जानिए छठ पूजा पर क्यों की जाती है सूर्य देव की उपासना

छठ पर्व के पहले दिन नहाय-खाय के बाद अगले दिन खरना होता है और फिर तीसरे दिन शाम को सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।

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चौथे दिन सूर्य को अर्घ्य देकर ही इस पर्व का समापन किया जाता है।

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हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार ऋषि-मुनि प्रतिदिन सूर्य को अर्घ्य और अन्य पूजाएं करते थे।

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सूर्य को जल चढ़ाने से पवित्रता आती है और महिलाएं सूर्य देव के प्रति अपना आभार व्यक्त करती हैं।

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ऐसा माना जाता है कि सूर्य को अर्घ्य देने से भगवान जीवन की कई समस्याओं से मुक्ति दिलाते हैं और बीमारियों से भी मुक्ति दिलाते हैं।

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मान्यताओं के अनुसार छठ का पावन पर्व जीवनदाता सूर्य देव के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का महापर्व है।

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छठ पर सूर्य देव की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि भी आती है।

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पूजा के दौरान कई लोग सूर्य को दूध का अर्घ्य देकर अपने परिवार के सदस्यों की खुशहाली की कामना करते हैं।

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मान्यताओं के अनुसार सूर्य देव की ऋचाएं कई वेदों में जगह-जगह मिलती हैं।

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उन वेदों में सूर्य की स्तुति और उनके मंत्रों आदि का वर्णन भी मिलता है।

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