By - shiwani mishra

Image Source: Freepik

महिलाओं का खतना एक बहुत ही गंभीर विषय है जिसे लेकर आए दिन चर्चा होती रहती है।

वो महिलाएं जो इससे होकर गुजरी हैं उन्हें इसका दर्द जिंदगी भर झेलना पड़ता है। ये प्रथा क्रूर ही नहीं आसामाजिक भी है।

क्रूर प्रथा

महिलाओं का खतना रूढ़िवादियों की एक बेहद दर्दनाक प्रक्रिया होती है। इसमें महिलाओं के जननांगों को विकृत कर दिया जाता है।

रूढ़िवादी

 रूढ़िवादी मुस्लिमों में खतना के बाद महिलाओं को 'शुद्ध' या 'शादी के लिए तैयार' माना जाता है।

मुस्लिम महिला

 दाउदी बोहरा मुस्लिम समुदाय की महिलाएं आज भी इस दंश को झेल रही हैं। इसके खिलाफ कई मुहिम भी चलाई गई हैं।

मुस्लिम समुदाय

लेकिन सच्चाई को छुपाया नहीं जा सकता है। ये धार्मिक महत्व रखता है, लेकिन इसकी कोई जरूरत नहीं होती है। 

धार्मिक महत्व

 UNICEF मानती है कि दुनिया भर में 2 करोड़ से ज्यादा लड़कियां ऐसी हैं जिन्हें किसी ना किसी तरह का खतना झेलना पड़ा है। 

UNICEF

ये अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकारों के खिलाफ माना जाता है। इससे लड़कियों को जिंदगी भर का साइकोलॉजिकल ट्रॉमा भी हो जाता है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर