सीता के अपहरण के बावजूद रावण को क्यों पूजते हैं लोग?

शास्त्रों में रावण के चरित्र को काफी गुणवान और शक्तिशाली बताया गया है।

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पौराणिक कथाओं में हम अक्सर सुनते हैं कि रावण ने सीता का हरण किया लेकिन उसे छुआ तक नहीं।

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इस घटना को देखते हुए कई लोग उन्हें सज्जन व्यक्ति कहते हैं।

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यह भी माना जाता है कि रावण के 10 सिर यानी 10 दिमाग थे, जिसकी मदद से उसमें सोचने-समझने की क्षमता ज्यादा थी।

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रावण को 1 नहीं बल्कि 4 वेदों और 6 उपनिषदों का ज्ञान के साथ उन्हें विद्या का भी उस्ताद माना जाता है।

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रावण ने ही शिव तांडव की शुरुआत की थी।

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माना तो ये भी जाता है कि उन्हें 64 प्रकार की कलाओं की समझ थी।

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ऐसा माना जाता है कि उन्हें संगीत में गहरी दिलचस्पी थी और वे एक बेहद निपुण वीणा वादक थे।

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जिस दिन रावण का दहन होता है, उस दिन को दक्षिण भारत और श्रीलंका में शोक का दिन माना जाता है।

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मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में साल भर लोग रावण के पुतले का दहन करने की बजाय उसकी पूजा करते हैं।

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मंदसौर गांव में रावण की 200 साल पुरानी मूर्ति है, जिसे लोग हर शुभ कार्य से पहले पूजते हैं।

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इस गांव के लोग रावण को अपना दामाद मानते हैं, इसलिए इस गांव की कोई भी महिला उनकी मूर्ति के सामने बिना घूंघट के नहीं जाती है।

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