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महाभारत युद्ध के 36 साल बाद भगवान कृष्ण एक पेड़ के नीचे समाधि ले रहे थे।
उस समय जरा नाम का एक शिकारी हिरण का पीछा करते हुए वहां पर पहुंच गया।
जरा ने कृष्ण के हिलते पैरों को हिरण समझ लिया और उसपर तीर चला दिया।
जब शिकारी को भगवान कृष्ण का पता चला तो वह अपनी गलती के लिए क्षमा मांगने पहुंचा।
उस समय भगवान कृष्ण ने सांत्वना देते हुए शिकारी को कहा कि कैसे उनकी मृत्यु निश्चित थी।
भगवान श्री कृष्ण की मृत्यु को मान्यताओं के अनुसार कलियुग की शुरुआत मानी जाती है।
भगवान कृष्ण का अंतिम संस्कार गुजरात के सोमनाथ के पास हिरण्य नदी के तट पर हुआ था।
जहां पर भगवान का अंतिम संस्कार हुआ वहां मंदिर बनाया गया है। इस जगह को गोलोक धाम के नाम से जानते हैं।