जब एक तरबूज के लिए दो रियासतों में छिड़ गया खुनी युद्ध

इस युद्ध को 'मतीरे की राड़' के नाम से जाना जाता है। यह अनोखा युद्ध 1644 ई. में हुआ था। तरबूज के लिए यह लड़ाई दो रियासतों के बीच हुई थी।

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बीकानेर रियासत के सीलवा गांव और नागौर रियासत के जाखणियां गांव की सीमा एक-दूसरे से सटी हुई थी।

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बीकानेर रियासत की सीमा में एक तरबूज का पेड़ लगा था और नागौर रियासत की सीमा में उसका एक फल लगा था।

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गांव के निवासियों का कहना था कि पेड़ उनके यहां लगा है, तो इस फल पर उनका अधिकार है। वहीं नागौर रियासत के लोगों का कहना था कि फल उनकी सीमा में लगा है, तो यह उनका है।

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फल के अधिकार को लेकर दोनों पक्षों में लड़ाई शुरू हो गई, जिसने खूनी युद्ध का रूप ले लिया।

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बता दें कि 'मतीरे की राड़' युद्ध सन् 1644 ई. में नागौर के अमर सिंह और बीकानेर के करण सिंह के बीच लड़ा गया था।

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इस युद्ध में अमर सिंह की हार और बीकानेर के करण सिंह की जीत हुई। वीजी काशी छगड़ी द्वारा लिखित पुस्तक छत्रपति रासो में इसका वर्णन है।  

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इस युद्ध में बीकानेर रियासत की जीत हुई थी, लेकिन बताया जाता है कि दोनों तरफ से हजारों सैनिकों की मौत हुई थी।

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