By: Simran Singh
NavBharat Live Desk
बड़ी नथ को पहाड़ी संस्कृति में शुभ और मंगल का प्रतीक माना जाता है। शादी या खास अवसरों पर इसे पहनना सौभाग्य का संकेत होता है।
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पारंपरिक रूप से बड़ी नथ शादीशुदा महिलाओं की पहचान मानी जाती है। यह बताती है कि महिला का विवाह हो चुका है और वह अपने ससुराल के गौरव से जुड़ी है।
कहा जाता है कि देवी पार्वती ने भी विवाह के समय बड़ी नथ धारण की थी। इसलिए पहाड़ी महिलाएं इसे देवी के आशीर्वाद और पवित्रता का प्रतीक मानकर पहनती हैं।
बड़ी नथ पारंपरिक गहना ही नहीं, बल्कि पहाड़ी पहचान का हिस्सा है। यह बताती है कि महिला अपनी संस्कृति और जड़ों से जुड़ी है।
पहाड़ों में नथ को शृंगार की शान कहा जाता है। इसे पहनने से महिला के चेहरे की सुंदरता और गरिमा दोनों बढ़ जाती हैं।
पहले के समय में नथ का आकार और उसमें इस्तेमाल हुआ सोना या मोती परिवार की आर्थिक स्थिति को दर्शाता था। बड़ी नथ जितनी भारी, परिवार उतना समृद्ध माना जाता था।
शादी के समय नथ अक्सर सास-ससुर की ओर से आशीर्वादस्वरूप उपहार दी जाती है, जो रिश्ते की मिठास और आशीर्वाद का प्रतीक होती है।
हर पहाड़ी क्षेत्र की नथ की डिज़ाइन अलग होती है, जो उनके स्थानीय रीति-रिवाजों और परंपराओं को दर्शाती है।
पहाड़ों में फूलों और प्रकृति से जुड़ाव गहरा है। इसलिए नथों की डिज़ाइन में भी फूलों और बेलों जैसी आकृतियाँ देखने को मिलती हैं।
आज भी शादियों या त्योहारों में बड़ी नथ पहनना संस्कृति को जीवित रखने का तरीका है, जिससे नई पीढ़ी अपनी परंपराओं से जुड़ी रहती है।