पहाड़ियों में बड़ी नथ पहनने की परंपरा

23 Oct 2025

By: Simran Singh

NavBharat Live Desk

बड़ी नथ को पहाड़ी संस्कृति में शुभ और मंगल का प्रतीक माना जाता है। शादी या खास अवसरों पर इसे पहनना सौभाग्य का संकेत होता है।

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शुभता और समृद्धि का प्रतीक

पारंपरिक रूप से बड़ी नथ शादीशुदा महिलाओं की पहचान मानी जाती है। यह बताती है कि महिला का विवाह हो चुका है और वह अपने ससुराल के गौरव से जुड़ी है।

विवाहिक पहचान

कहा जाता है कि देवी पार्वती ने भी विवाह के समय बड़ी नथ धारण की थी। इसलिए पहाड़ी महिलाएं इसे देवी के आशीर्वाद और पवित्रता का प्रतीक मानकर पहनती हैं।

पौराणिक मान्यता

बड़ी नथ पारंपरिक गहना ही नहीं, बल्कि पहाड़ी पहचान का हिस्सा है। यह बताती है कि महिला अपनी संस्कृति और जड़ों से जुड़ी है।

सामाजिक और सांस्कृतिक गौरव

पहाड़ों में नथ को शृंगार की शान कहा जाता है। इसे पहनने से महिला के चेहरे की सुंदरता और गरिमा दोनों बढ़ जाती हैं।

सौंदर्य और सम्मान का प्रतीक

पहले के समय में नथ का आकार और उसमें इस्तेमाल हुआ सोना या मोती परिवार की आर्थिक स्थिति को दर्शाता था। बड़ी नथ जितनी भारी, परिवार उतना समृद्ध माना जाता था।

धन और प्रतिष्ठा का प्रतीक

शादी के समय नथ अक्सर सास-ससुर की ओर से आशीर्वादस्वरूप उपहार दी जाती है, जो रिश्ते की मिठास और आशीर्वाद का प्रतीक होती है।

सास-ससुर का आशीर्वाद

हर पहाड़ी क्षेत्र की नथ की डिज़ाइन अलग होती है, जो उनके स्थानीय रीति-रिवाजों और परंपराओं को दर्शाती है।

स्थानीय रीति-रिवाजों में महत्व

पहाड़ों में फूलों और प्रकृति से जुड़ाव गहरा है। इसलिए नथों की डिज़ाइन में भी फूलों और बेलों जैसी आकृतियाँ देखने को मिलती हैं।

प्राकृतिक प्रेरणा

आज भी शादियों या त्योहारों में बड़ी नथ पहनना संस्कृति को जीवित रखने का तरीका है, जिससे नई पीढ़ी अपनी परंपराओं से जुड़ी रहती है।

परंपरा का संरक्षण

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