जानिए! अयोध्या के मुस्लिमों की नजर में क्या हैं प्रभु श्रीराम?

इस अयोध्या को अपनी इच्छानुसार बनाने में अनेक जातियों और समुदायों की बड़ी भूमिका है।

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यहां तक कि जब बाबर ने अयोध्या में मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई, तब भी एक चीज जो नहीं बदली, वह थी अयोध्या के मुस्लिम परिवारों की भावना।

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हालांकि ढांचा ढहने के बाद कुछ तत्वों ने इस भावना को बदलने की कोशिश की लेकिन इसका कोई बुरा असर नहीं हुआ।

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आज भी मुस्लिम परिवार में खड़ाऊ, कंठी-माला, भगवान की पोशाक और मुकुट बनाने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है।

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मंदिर आंदोलन तेज होने के दौरान कुछ परिवार अवश्य ही इस कार्य के प्रति अरुचि दिखाई।

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लेकिन अब इस भव्य-दिव्य राम मंदिर को लेकर उनका मानना है कि जो कुछ भी हो रहा है वह भगवान राम की इच्छा से ही हो रहा है।

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नवनिर्मित मंदिर में रामलला की स्थापना के साथ ही मुस्लिम समुदाय का उत्साह एक बार फिर देखने को मिल रहा है।

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आज स्थिति यह है कि अयोध्या में काम करने वाले मुस्लिम मजदूर भी अपना काम छोड़कर प्राण-प्रतिष्ठा के उत्सव में हिस्सा ले रहे हैं।

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मुस्लिम समुदाय भी मंदिरों में सेवक के रूप में योगदान देता रहा है।

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कुल मिलाकर अब बने माहौल के बाद अयोध्या में मुस्लिम परिवारों ने नए उत्साह के साथ भगवान श्री राम को स्वीकार कर लिया है।

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आज के समारोह के बाद अयोध्या एक नई सामाजिक समरसता की मिसाल बनेगी। 

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