आंखों का रंग क्यों होता है अलग

08 Nov 2025

By: Simran Singh

NavBharat Live Desk

आंखों का रंग मेलानिन नामक पिगमेंट की मात्रा पर निर्भर करता है जितना ज़्यादा मेलानिन, उतना गहरा रंग, और जितना कम मेलानिन, उतना हल्का रंग।

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मेलानिन की मात्रा पर निर्भर

आंखों का रंग माता-पिता के जीन से तय होता है। यानी आपके आई कलर पर आपके परिवार की जेनेटिक बनावट का बड़ा असर होता है।

जेनेटिक कारण

आंखों का रंग अलग-अलग रोशनी में हल्का या गहरा दिखाई दे सकता है, क्योंकि लाइट आईरिस में मौजूद पिगमेंट्स से टकराकर रिफ्लेक्ट होती है।

रोशनी का प्रभाव

कई बच्चों की आंखें जन्म के समय नीली या ग्रे होती हैं, लेकिन कुछ महीनों या सालों में मेलानिन बढ़ने पर उनका रंग गहरा होकर भूरा या हेज़ल हो जाता है।

बचपन में रंग बदलना

उम्र, हार्मोनल बदलाव या कुछ मेडिकल कंडीशंस भी आंखों के रंग में हल्का बदलाव ला सकते हैं।

हॉर्मोनल या हेल्थ कारण

गर्म देशों के लोगों में सूरज की तेज़ रोशनी से बचाव के लिए आंखों में मेलानिन ज़्यादा होता है, इसलिए आंखें आमतौर पर भूरी होती हैं। ठंडे इलाकों में मेलानिन कम होने से आंखें हल्की रंग की होती हैं।

भौगोलिक अंतर

आंख के बीच के हिस्से ‘आईरिस’ की बनावट, उसमें मौजूद कोलाजेन फाइबर और पिगमेंट्स की गहराई भी रंग को प्रभावित करते हैं।

आईरिस की संरचना

नीली आंखों में वास्तव में नीला पिगमेंट नहीं होता यह लाइट के स्कैटर होने की वजह से नीली दिखती हैं, ठीक वैसे जैसे आसमान नीला लगता है।

नीली आंखों का कारण

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