By: Simran Singh
NavBharat Live Desk
आंखों का रंग मेलानिन नामक पिगमेंट की मात्रा पर निर्भर करता है जितना ज़्यादा मेलानिन, उतना गहरा रंग, और जितना कम मेलानिन, उतना हल्का रंग।
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आंखों का रंग माता-पिता के जीन से तय होता है। यानी आपके आई कलर पर आपके परिवार की जेनेटिक बनावट का बड़ा असर होता है।
आंखों का रंग अलग-अलग रोशनी में हल्का या गहरा दिखाई दे सकता है, क्योंकि लाइट आईरिस में मौजूद पिगमेंट्स से टकराकर रिफ्लेक्ट होती है।
कई बच्चों की आंखें जन्म के समय नीली या ग्रे होती हैं, लेकिन कुछ महीनों या सालों में मेलानिन बढ़ने पर उनका रंग गहरा होकर भूरा या हेज़ल हो जाता है।
उम्र, हार्मोनल बदलाव या कुछ मेडिकल कंडीशंस भी आंखों के रंग में हल्का बदलाव ला सकते हैं।
गर्म देशों के लोगों में सूरज की तेज़ रोशनी से बचाव के लिए आंखों में मेलानिन ज़्यादा होता है, इसलिए आंखें आमतौर पर भूरी होती हैं। ठंडे इलाकों में मेलानिन कम होने से आंखें हल्की रंग की होती हैं।
आंख के बीच के हिस्से ‘आईरिस’ की बनावट, उसमें मौजूद कोलाजेन फाइबर और पिगमेंट्स की गहराई भी रंग को प्रभावित करते हैं।
नीली आंखों में वास्तव में नीला पिगमेंट नहीं होता यह लाइट के स्कैटर होने की वजह से नीली दिखती हैं, ठीक वैसे जैसे आसमान नीला लगता है।