मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन से होती हैं मनोकामनाएं पूरी, सावन में जरूर करें यात्रा

मल्लिकार्जुन 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक और देवी पार्वती के अठारह शक्तिपीठों में से एक है, जो कृष्णा नदी के तट पर स्थित है।

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द्वादश ज्योतिर्लिंग में मल्लिकार्जुन का विशेष स्थान है। शिव का यह धाम आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में कृष्णा नदी के किनारे श्रीशैलम पर्वत पर स्थित है। इस पवित्र पर्वत को दक्षिण का कैलाश माना जाता है।

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'मल्लिका' माता पार्वती का नाम है, जबकि 'अर्जुन' भगवान शंकर का नाम है। इस प्रकार उस ज्योतिर्लिंग का संयुक्त नाम 'मल्लिकार्जुन' जगत में प्रसिद्ध हुआ।

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मान्यता है कि सावन के पवित्र महीने में मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

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पुराणों में कहा गया है कि मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग में महादेव और माता पार्वती की दिव्य ज्योतियां संयुक्त रूप से विद्यमान हैं, जो इसे खास बनाता है।

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मान्यता है कि हर अमावस्या को भगवान शिव और पूर्णिमा को माता पार्वती यहां आती हैं, महाशिवरात्रि के दिन यहां मेला लगता है। मंदिर के पास ही जगदंबा का भी विशेष स्थान है।

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पुत्र कार्तिकेय के कारण भगवान शिव उस पर्वत पर ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हो गये। उस ज्योतिर्लिंग का नाम मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग है।

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कहा जाता है कि मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग में माता सती का ऊपरी होंठ गिरा था। यानी श्रीशैलम श्री मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर को 18 महाशक्ति पीठों में से एक कहा जाता है।

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मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की पहाड़ी से पांच किलोमीटर नीचे पातालगंगा नाम से प्रसिद्ध कृष्णा नदी है, जिसमें स्नान करने का महत्व शास्त्रों में वर्णित है।

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