By - Deepika Pal Image Source: Social Media
शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव संसार में सबसे पहले अपने निराकार रूप में ही प्रकट हुए इनका श्रृंगार-आभूषण अलग है चलिए जानते है इनके बारे में।
भगवान शिव के मस्तक के मध्य भाग में सुशोभित तीसरा नेत्र अलौकिक है। ये नेत्र संसार और काल के परे का बोध कराता है।
शंकर जी नंदी बैल को अपने वाहन के रूप में स्वीकार करते हैं। नंदी का सभी शिवगणों में प्रथम स्थान है। स्थिरता और सजगता का प्रतीक मानते है।
भगवान शिव अपने हाथ में त्रिशूल धारण करते हैं। त्रिशूल के तीनों शूलों की ऋषि-मुनी अलग-अलग व्याख्या करते हैं।
भगवान शिव नाग वासुकी को अपने गले में पहनते है इसे कुंडलनी का प्रतीक माना जाता है।हानिकारक प्रभावों से बचाता है।
भगवान शिव ने चंद्रमा की तपस्या से प्रसन्न हो कर उन्हें अपने शीश पर धारण किया और उनका कलंक दूर हुआ।