हर चार सेकेंड में एक जान ले लेता है तंबाखू, ना पीने वाले भी हो रहे हैं शिकार

भारत में कैंसर से 100 रोगियों में से 40 तंबाकू के कारण मृत्यु होती है।

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लगभग 95 प्रतिशत मुंह के कैंसर तंबाकू के सेवन करने वाले व्यक्तियों में होते हैं।

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धूम्रपान की वजह से मरने वालों में 13 लाख लोग वे हैं, जो इसके कारण पैदा हुए धुएं का शिकार बन जाते हैं।

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ये ऐसे निर्दोष लोग हैं जो स्वयं इन उत्पादों का उपयोग न करने के बावजूद अप्रत्यक्ष रूप से इससे पैदा हुए धुंए में सांस लेने को मजबूर हैं।

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WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के करीब आधे बच्चे तंबाकू के चलते प्रदूषण युक्त हवा में सांस ले रहे हैं।

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हर साल तंबाकू के धुएं के संपर्क में आने से करीब 51 हजार बच्चों की मौत हो जाती है। 

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WHO की रिपोर्ट के अनुसार हर साल लगभग नौ लाख भारतीय तंबाकू के सेवन से मरते हैं जो कि क्षय रोग, एड्स और मलेरिया से होने वाली मौतों से अधिक हैं।

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आंकड़ों के मुताबिक तंबाकू से मरने वालों की पिछले तीन दशकों में 58.9 फीसदी का इजाफा हुआ है।

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WHO के मुताबिक, भारत में हर साल होने वाली साढ़े तरह लाख मौतों के लिए तंबाकू जिम्मेदार है।

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ऐसे में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सरकार से बच्चों और युवाओं को नशे की लत से बचाने के लिए स्कूलों में धूम्रपान और 'वेपिंग' पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया है।

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डब्ल्यूएचओ के अनुसार, स्कूलों को तंबाकू और निकोटीन मुक्त रखने से इसे रोकने में मदद मिल सकती है।

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यदि सरकार इसकी बिक्री में रोकधाम के लिए कठोर कदम नहीं उठायेगी तो आने वाले समय में नशा करने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जाएगी और इससे होने वाली मौतों को रोकना मुश्किल होगा।

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